Controversy over the Ashoka Pillar built on the newly built Parliament House अशोक स्तम्भ के शेरों की आकृति बदलने पर घिरी मोदी सरकार , नए ससंद भवन की छत पर लगाया गया है 9500 वजनी अशोक संतभ
अशोक स्तम्भ के शेरों की आकृति बदलने पर घिरी मोदी सरकार , नए ससंद भवन की छत पर लगाया गया है 9500 वजनी अशोक संतभ
नई दिल्ली : Controversy over the Ashoka Pillar built on the newly built Parliament House सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए बन रहे ससंद भवन की शीर्ष पर लगे अशोक संम्भ का उदघाटन किया। ये खासियतें हैं : ब्रॉन्ज से बना 6.5 मीटर लंबा, 9500 किलो वजनी, 6500 किलो का सपोर्टिंग स्ट्रक्चर। लगभग 1200 करोड़ के बजट से बनने वाला संसद भवन इस साल के अंत तक या साल 2023 की शुरआत में बनकर तैयार होने की संभावना है। अशोक स्तंभ दिल्ली , औरंगाबाद व जयपुर में तैयार किया गया।
संसद भवन की छत पर चढ़ाना रहा मुश्किल भरा काम Controversy over the Ashoka Pillar built on the newly built Parliament House
अशोक स्तंभ को बनाने में 100 कारीगर को 9 महीने का समय लगा। जब अशोक स्तंभ तैयार होकर दिल्ली नए संसद भवन पहुंचा तो इसे ऊपर ले जाना भी मुश्किल भरा काम रहा , क्यूंकि इससे धरती से 108 फुट उच्चा स्थापित करना था। इसलिए पहले इसके 150 टुकड़े किये गए। फिर उन टुकड़ों को ऊपर असेम्ब्ल किया गया , इन टुकड़ो को जोड़ने में भी दो महीने का समय लग गया। अशोक संतभ पर चार शेर हैं लेकिन गोलकार होने की वजह से हर एंगल से ये तीन ही दीखते हैं।
इस अशोक स्तंभ के कॉन्सेप्ट और इसे नए संसद भवन की छत पर लगाने तक की प्रक्रिया आठ स्टेज से गुजरी है। भारत के राष्ट्रीय प्रतीक को 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था, उसी दिन देश का संविधान लागू हुआ था।
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विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा Controversy over the Ashoka Pillar built on the newly built Parliament House
विपक्षी दलों ने नए बने अशोक स्तंभ को लेकर मोदी सरकार की काफी आलोचना की , आप के संजय सिंह ने कहा कि मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूं कि राष्ट्रीय प्रतीक बदलने वालों को राष्ट्र विरोधी बोलना चाहिए कि नहीं बोलना चाहिए। विपक्ष ने मोदी सरकार पर राष्ट्रीय प्रतीक में शेर बदलने का आरोप लगाया है।
तृणमूल कांग्रेस के सांसदों जवाहर सरकार और महुआ मोइत्रा ने नए संसद भवन के शीर्ष पर लगाए गए अशोक स्तंभ के शेरों को उचित ढंग से नहीं दिखाने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सरकार और मोइत्रा का आरोप है कि इस अशोक स्तंभ के शेरों को ‘आक्रामक’ और ‘बेडौल’ तरीके से दिखाया गया है।
इसके साथ ही सोशल मीडिया पर नए संसद भवन पर लगे अशोक स्तंभ को लेकर बहस छिड़ गई है। कई लोग ट्वीट कर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के सारनाथ म्यूजिम वाले मूल स्वरूप और अब नए संसद भवन में लगे अशोक स्तंभ के अंतर की तस्वीरें शेयर कर रहे हैं।
अशोक स्तंभ से जुड़े क़ानूनी पहलू :
अशोक स्तंभ का इन सरकारी इमारतों में ही इस्तेमाल हो सकता है जैसे कि राष्ट्रपति भवन :
- संसद भवन
- सुप्रीम कोर्ट
- केंद्रीय सचिवालय बिल्डिंग
- राजभवन
- हाईकोर्ट
- राज्य सचिवालय बिल्डिंग
- भारतीय दूतावास
- राष्ट्रीय प्रतीक भारत के राष्ट्रपति और केंद्र व राज्य सरकारों की आधिकारिक मुहर है और भारत सरकार के आधिकारिक लेटरहेड का एक अनिवार्य हिस्सा है।
- राष्ट्रीय प्रतीक सभी भारतीय करेंसी और पासपोर्ट का एक हिस्सा है। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी यानी IPS की कैप पर राष्ट्रीय प्रतीक होता है।
- राष्ट्रीय प्रतीक का उपयोग स्टेट एम्ब्लेम ऑफ इंडिया एक्ट 2005 के तहत प्रतिबंधित हैं। इसके तहत निजी व्यक्ति या संगठन कॉरेस्पॉन्डेंस यानी पत्र-व्यवहार के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते।
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