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What is suo moto? Suo Moto Kya Hota Hai In Hindi
सुओ मोटो क्या होता है कोर्ट किसी मामले में कैसे लेती है सुओ मोटो
न्यायिक भाषा में अक्सर ही हम सुओ मोटो का नाम सुनते रहते हैं हमने सुना होगा कि उस मामले में अदालत ने सुओ मोटो लिया है। या किसी अदालत ने सुओ मोटो के आधार पर फैसला सुनाया है। आज हम इस लेख में सुओ मोटो के बारे में जानेंगे कि आखिर ये सुओ मोटो क्या होता है इसमें कौन – कौन से मामले आते हैं व कोर्ट कब सुओ मोटो लेती है। सुओ मोटो लेने का अधिकार किस किस कोर्ट को होता है। आइए जानते हैं –
क्या होता है सुओ मोटो -What is suo moto? Suo Moto Kya Hota Hai In Hindi
सुओ मोटो एक लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है – अपनी मर्जी से” यानि ऐसा कोई मामला जिसे बिना किसी शिकायत अनुरोध के अदालत खुद अपनी और से सुनवाई करती है। उसे सुओ मोटो लेना कहा जाता है। किसी ऐसे मामले में जब अदालत को लगता है इसमें कुछ गलत हो रहा है और उसमे किसी ने शिकायत नहीं की हो तब अदालत खुद अपने लेवल पर उसकी सुनवाई या फैसला देती है उसे सुओ मोटो कहा जाता है।
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सुओ मोटो भारतीय न्यायिक प्रणाली में आम है। बहुत से ऐसे केस होते हैं जिसमे इंसाफ की जरूरत होती है लेकिन कोई अदालत पहुँचता ही नहीं तब अदालत खुद कहीं से भी उस मामले के बारे जानती है फिर उस पर फैसला देती है इसे सुओ मोटो कहा जाता है।
ये कार्यवाई किसी न्यूज़पेपर या किसी समाचार पोर्टल की जानकारी के आधार पर भी हो सकती है। इसमें किसी भी शिकायतकर्ता व्यक्ति या संगठन की जरूरत नहीं होती। आसान भाषा में कहें तो किसी कोर्ट के जज जब कहीं से भी कोई ऐसी न्यूज़ पढ़ते या देखते हैं जिसे देख उन्हें लगता है कि इसमें बहुत गलत हुआ है लेकिन उस न्यूज़ के बारे में कोई अदालत नहीं पहुंचा तब अदालत उस पर खुद सुनवाई करती है।
सुओ मोटो कौनसी अदालत ले सकती है ?
सुओ मोटो लेने का अधिकार अक्सर देश के सर्वोच्च न्यालय यानि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट को होता है जबकि निचली अदालते जैसे की जिला कोर्ट किसी मामले में सुओ मोटो नहीं ले सकती। अगर किसी जिला कोर्ट की नज़र में ऐसा मामला आता है तो वो कोर्ट उस विभाग से उस आवेदन में जानकारी मांग सकती है उसके बाद उस पर सुनवाई होने लगती है। सुओ मोटो कार्यवाई का उदेश्य समाज में इंसाफ और न्यायिक प्रणाली को सुधारने का होता है।