मुद्रास्फीति क्या है इसके पैदा होने पर लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है

What is inflation and what effect does it have on people?
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मुद्रास्फीति क्या है इसके पैदा होने पर लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है

What is inflation and what effect does it have on people?  हमने अक्सर ही हमने मुद्रास्फीति के बारे सुना व् पढ़ा ही होगा लेकिन कभी इस शब्द पर ज्यादा सोच विचार नहीं करते हैं। लेकिन आज इस लेख हम समझेंगे की मुद्रास्फीति क्या होती है और ये क्यों पैदा होता है इसे कण्ट्रोल करने के लिए किसी देश की सरकार क्या क्या कदम उठा सकती है।

मुद्रास्फीति क्या है ?

मुद्रास्फीति (Inflation) एक अर्थशास्त्रिक शब्द है जो बताता है कि सामान्यत: सामाजिक चीज़ों की कीमतें बढ़ रही हैं। यह ऐसा समय होता है जब पैसे की मांग बढ़ती है, लेकिन उत्पादन इससे कम होता है। इसका परिणाम होता है कि लोगों को ज्यादा पैसे चाहिए ताकि वे उनकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें, और इससे चीज़ों की कीमतें बढ़ती हैं।

आइए एक उदाहरण से समझते हैं मान लीजिये सोने के बिस्किट की कीमत आज 100 रूपये है तो हर कोई इसे ज्यादा से ज्यादा खरीदना चाहेगा इसलिए इसकी मांग बढ़ जाएगी। लेकिन दूसरी तरफ सोने को बेचने वाले भी चाहेंगे की जब मांग बढ़ रही है यानि लोग इसके लिए ज्यादा पैसा देने को भी तैयार हैं तो सुपर मार्किट में इसकी कीमत बढ़ा देंगे ताकि उन्हें ज्यादा मुनाफा हो।

अब मान लीजिये सोने के बिस्किट की कीमत 500 रूपये हो गयी अब लोगों को वही सोने का बिस्किट खरीदने के लिए पांच सौ रूपये देने पड़ रहे हैं जिसे वो पहले सौ रूपये में खरीद रहे थे। यहां लोगों के पास पैसे की कमी आ जाती है। इसे ही मुद्रास्फती पैदा होना कहते हैं।

What is inflation and what effect does it have on people?
What is inflation and what effect does it have on people?

इसलिए, मुद्रास्फीति एक अवस्था है जिसमें पैसे की कीमत बढ़ जाती है और इससे लोगों को ज्यादा पैसे चाहिए होते हैं ताकि वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें।

मुद्रास्फीति का कारण अधिकतम सामान और सेवाओं की मांग की अनुपात में अधिकतम मात्रा में बढ़ोतरी है, जबकि उत्पादन और सेवा की मात्रा इससे कम है। इससे लोगों को अधिक पैसे चाहिए होते हैं ताकि वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें, और इससे मुद्रास्फीति हो सकती है।

What is inflation and what effect does it have on people?

जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ जाती है यानि लोगों के लिए पैसे की डिमांड बढ़ जाती है तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे कि उनका बजट गड़बड़ाने लगता है उन्हें जरूरत की चीज़े खरीदने के लिए ज्यादा पैसा देना पड़ता है। जिसे उनकी बचत कम होने लगती है। बचत कम होने से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना भी करना पड़ता है।

उनके खरीदारी मे कमी आती है जिसे पूरी मार्किट में किसी प्रोडक्ट की बिक्री मे कमी आने लगती है अगर यही स्तिथि लम्बे समय तक बनी रहे तो ज्यादा खतरनाक हो जाती है क्यूंकि किसी भी प्रोडक्ट की सप्लाई कम होने का रुकने से उस कम्पनी का बजट गड़बड़ा जाता है जिसका प्रभाव वहां काम कर रहे कर्मियों पर पड़ता है। आर्थिक मंदी में कर्मचारियों की छंटनी भी होती है।

इसका सबसे ज्यादा असर फिक्स्ड इनकम वालों पर प्रभाव पड़ेगा क्यूंकि उनकी इनकम तो उतनी है लेकिन किसी चीज़ को खरीदने के लिए उनको ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। इसमें उत्पादक को फ़ायदा पहुंचेगा। मुद्रास्फीति पैदा होने पर लोगों को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए उधार भी लेना पड़ सकता है।

मुद्रास्फीति पैदा होने पर सरकार क्या क्या कदम उठाती है ?

जब देश में मुद्रास्फीति बढ़ जाती है तो सरकार इसे कम करने के प्रयास करती है ताकि आम लोगों के जीवन पर इसका प्रभाव ना पड़े। इसलिए सरकार सेंट्रल बैंक के माध्यम से ब्याज बढ़ा सकती है ताकि लोग कम से कम लोन लें और खर्चा भी कम करें। जिसे किसी चीज की मांग कण्ट्रोल में रहे। वहीं सरकार खुद के खर्चों पर भी कण्ट्रोल करती है। ताकि मुद्रास्फीति को कण्ट्रोल में रखा जाये। सरकार आयात और निर्यात पर कण्ट्रोल रखती है क्यूंकि इसे विदेशी मुद्रा पर कण्ट्रोल रखा जायेगा।

इसके इलावा सरकार किसी वस्तु के उत्पादन पर जोर देती है ताकि उसकी मांग को कण्ट्रोल किया जा सके। क्यूंकि किसी वस्तु का उत्पादन उसकी जरूरत के हिसाब से होगा तो उसकी कीमत नहीं बढ़ेगी।
अगर किसी सामान की कमी हो रही है तो सरकार इसे विदेश से भी इम्पोर्ट कर सकती है ताकि उसकी जरूरत के हिसाब से सप्लाई बनी रही। इसे महगांई भी कण्ट्रोल में रहती है। कई बार मुद्रास्फीति को कण्ट्रोल करने के लिए विदेश से लोन व दान भी लें सकती है।


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