भारतीय दंड सहिंता की धारा 363 क्या है – Section IPC 363 Indian Penal Code|Punishment|Bail
भारतीय दंड सहिंता की धारा 363 क्या है – Section IPC 363 Indian Penal Code|Punishment|Bail
आज इस लेख में हम आपको भारतीय दंड सहिंता की धारा 363 के बारे में बहुत ही आसान भाषा में पूरी जानकारी देंगे , हम आपको बताएंगे कि ये धारा कब लगाई जाती है , इसमें कितनी सजा होती है व क्या इसमें जमानत हो सकती है ? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आपको इस पोस्ट में मिल जायेंगे।
तो चलिए शुरू करते हैं :-
क्या है धारा 363 है :- What is section 363
भारतीय दंड सहिंता की धारा 363 किसी व्यकित के क़ानूनी तौर पर संगरक्षित अभिभावक से किसी अन्य व्यकित द्वारा किसी व्यकित का अपहरण करने से सम्बन्धित है इंग्लिश में किडनैपिंग भी कहा जाता है भारतीय दंड सहिंता में किसी व्यकित का अपहरण करना क़ानूनी जुर्म है इसे दंड सहिंता की धारा 363 में प्रभाषित किया गया है।
धारा 363 में सजा व जमानत :- Punishment and bail under section 363
भारतीय दंड सहिंता की धारा 363 एक संज्ञेय अपराध से समबधित है इस लिए ये अपराध समझौता करने योग्य तो नहीं है लेकिन ये जमानतीय अपराध है इसमें जमानत हो सकती है जो कि न्यालय के जज पर निर्भर करता है कि वो जमानत देता है या नहीं क्यूंकि वैसे ये एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें दोषी को सात साल तक की सजा व आर्थिक दंड से दंडित किया जा सकता है। ये प्रथम श्रेणी के न्यालय द्वारा विचारणीय है।
धारा 363 में वकील की जरूरत :- Lawyer needed in section 363
क्यूंकि लगभग हर क़ानूनी मामले में वकील की जरूरत पड़ती ही है तभी तो कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस संभव होगी , यहां वकील ही ऐसा व्यकित होता है जो किसी निर्दोष को सजा होने से बचा सकता है। इसी तरह इस धारा में एक योग्य अधिवक्ता की जरूरत पड़ेगी ये एक संज्ञेय अपराध अपराध है इसलिए इसमें एक योग्य वकील ही आरोपी की जमानत करवा सकता है।
आपको बता दें कि यहां भारतीय दंड सहिंता की धारा 363 के बारे में समान्य जानकारी दी गयी है। लेकिन आपके मामले के अनुसार आप अपने नजदीकी अधिवक्ता से जरूर सम्पर्क कर लें। धन्यवाद !
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