Nupur Sharma VS Supreme Court : Nupur Sharma की आलोचना करने वाले जज पर लोगों ने जमकर निकाला गुस्सा 01
नई दिल्ली : पिछले दिनों बीजेपी नेत्री नूपुर शर्मा पर Nupur Sharma VS Supreme Court उनकी याचिका दौरान आलोचना करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज पर लोगों ने जमकर भड़ास निकाली है। लोगों के गुस्से को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज पादरीवाला ने केंद्र सरकार को सोशल मीडिया पर लगाम लगाने वाले कानून बनाने की सलाह दे डाली। आपको बता दें कि भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट दौरान पैगंबर मुहमद साहिब पर विवादित टिप्पणी की थी।
जिसके बाद मुस्लिम समुदाय में गुस्सा फेल गया। यहां तक नूपुर शर्मा को जान से मरने की धमकियां भी मिलने लगी। इसी दौरान नूपुर शर्मा ने अपनी सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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जस्टिस जेबी पादरीवाला ने नूपुर शर्मा को लगाई फटकार Nupur Sharma VS Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पादरीवाला ने नूपुर शर्मा की आलोचना करते हुए कहा कि जो कुछ देश में हो रहा है इसकी जुम्मेवार अकेली नूपुर शर्मा ही है , यहीं नहीं बल्कि जो राजस्थान के उदयपुर में दर्ज़ी की हत्या हुई है उसकी जुम्मेवार भी नूपुर शर्मा है। साथ ही जस्टिस पादरीवाला ने कहा कि नूपुर शर्मा की जान को खतरा है या नूपुर शर्मा खुद देश के लिए खतरा बन गयी है।
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जस्टिस पादरीवाला ने कहा कि दिल्ली पुलिस नूपुर शर्मा को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है , जबकि उसके खिलाफ इतनी एफआईआर दर्ज़ हो चुकी है। जस्टिस पादरीवाला ने कहा कि अभी तक पुलिस ने इस मामले में एक ही व्यकित को गिरफ्तार किया है जबकि नूपुर शर्मा पर अभी कोई कारवाई नहीं हुई है। जस्टिस पादरीवाला की फटकार के बाद नूपुर शर्मा के वकील ने याचिका वापस ले ली थी।
सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा अपनी आलोचना पर बोले जस्टिस पादरीवाला
नूपुर शर्मा की आलोचना करने वाले जज को सोशल मीडिया पर गुस्से का सामना करना पड़ा , यहां लोगों ने जज की भी आलोचना करनी शुरू कर दी। जस्टिस पादरीवाला ने कहा कि आप कोर्ट की आलोचना कर सकते हैं लेकिन जजों पर निजी हमले , धमकी या उनके परिवार की आलोचना स्वीकार नहीं की जाएगी। जज ने कहा कि कोर्ट ये नहीं देखती कि टीवी या सोशल मीडिया क्या कह रहे हैं बल्कि कोर्ट ये देखती है कि देश का कानून इस मामले में क्या कहता है।
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जस्टिस पारदीवाला ने आगे कहा कि हमारे संविधान के तहत कानून के शासन को बनाए रखने के लिए पूरे देश में डिजिटल और सोशल मीडिया को रेगुलेट करने की जरूरत है.अपने फैसलों के लिए जजों पर हमले एक खतरनाक परिदृश्य की तरफ ले जा रहे हैं, जहां जजों को यह सोचना पड़ता है कि मीडिया क्या सोचता है. बजाय इसके कि कानून वास्तव में क्या कहता है। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि सुनवाई (ट्रायल) एक अदालतों द्वारा की जाने वाली एक प्रक्रिया है |
जस्टिस पादरीवाला ने कहा कि सोशल मीडिया पर लोगों को न तो कानून की पूरी जानकारी होती है न ही किसी केस की जानकारी होती है बस सोशल मीडिया पर फैली आधीअधूरी जानकारी को सत्य मानकर वो गलत कदम उठा लेते हैं। जस्टिस ने सरकार को भी सोशल मीडिया पर कानून बनाने की सलाह दी। जस्टिस जेबी पादरीवाला ने कहा कि किसी मामले पर जजों को गलत ठहरने से जजों के फैसलों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा फिर जज बजाए ये सोचने के कि कानून क्या कहता बल्कि ये सोचने लगेंगे कि लोग इसके बारे में क्या सोचते हैं ये मानकर अपने फैसले देने लगेंगे जो कि देश के लिए बहुत खतरानक साबित होगा।
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