Kya hai Tada Act-Pota Act and UAPA act . क्या होते हैं TADA Act , UAPA Act व POTA एक्ट in Hindi
Kya hai Tada Act-Pota Act and UAPA act . क्या होते हैं TADA Act , UAPA Act व POTA एक्ट in Hindi
आज के इस लेख में हम भारतीय कानून जो कि आम भारतीय दण्ड सहिंता से Kya hai Tada Act-Pota Act and UAPA act अलग किसी विशेष व्यकित या ग्रुप पर लगाए जातें हैं जो देश व समाज के लिए ज्यादा खतरनाक हो। ये किसी विशेष व्यकित पर लगाए जाते हैं जैसे कि आंतकी संगठन , या कोई खतरानक गैंगस्टर ग्रुप , या जिनका किसी आंतकी ग्रुप से सबंध हो , या जो किसी तरह के आंतकी हमलों में किसी तरह से भी शामिल रहा हो। बार बार खतरानक जानलेवा क्राइम करने पर भी इन एक्ट के तहत मामला दर्ज़ होता है। आइए जानते हैं इनके बारे में। ये तीन एक्ट हैं टाडा एक्ट , पोटा एक्ट व उपा एक्ट।
क्या होता है टाडा एक्ट : Kya hai Tada Act , Pota Act and UAPA act
टाडा एक्ट यानि टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज Terrorist and Disruptive Activities (Prevention) Act ये एक्ट 1985 से 1995 के बीच लागू था। पंजाब में बढ़ते आतंकवाद के चलते सुरक्षाबलों को विशेषाधिकार देने के लिए यह कानून लाया गया था। इस एक्ट के तहत पंजाब में बढ़ रहे आंतकवाद व खालिस्तानी गतिविधिओं को रोकना था। क्यूंकि उस दौर में पंजाब का माहौल विदेशी ताकते खराब करने पर लगी हुई थी। ऐसे में पंजाब के रास्ते पुरे देश में आंतकवाद घटनाये बढ़ रही थी। लेकिन बाद में 1995 में इस कानून के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में याचिका लगाई गयी। मगर इसे सविधानक तौर पर सही ठहराया गया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उक्त विधि की कार्यपद्धति की समीक्षा करते हुए सुझाव दिया कि इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें कठोर प्रावधान किये गए थे जिसमें गंभीर रूप से प्रमाणिक कानूनी मानकों से समझौता किया गया था। यह भी देखा गया कि इसे सांप्रदायिक और कट्टरपंथी ढंग से भी इस्तेमाल किया गया था। टाडा 1995 में ख़त्म हो गया। फिल्म अभिनेता संजय दत्त पर टाडा लगा हुआ था।
पोटा एक्ट : The Prevention of Terrorism Act, 2002 (POTA)
टाडा एक्ट खत्म होने के बाद पोटा एक्ट यानि The Prevention of Terrorism Act, 2002 (POTA) लाया गया। इसे दो अप्रैल 2002 को लागु किया गया था। अत्याचार विरोधी अधिनियम, २००२ – देश में आतंकवाद पर अकुंश लगाने के उद्देश्य से २ अप्रैल २००२ को टाडा के स्थान पर एक नया आतंकवाद निरोधी अधिनियम पोटा लागु किया गया। संसद के दोनो सदनों के संयुक्त अधिवेशन में 26 March 2002 पारित होने के बाद 2 April 2002 को राष्ट्रपति के अनुमोदन के साथ ही यह विधेयक एक अधिनियम पोटा के रूप में आस्तित्व में आया।
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 के खंड-3,4,5 तथा 6 में निवारक निरोध तत्सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लेख है । निवारक निरोध कानून के अंतर्गत किसी व्यक्ति को अपराध के पूर्व ही गिरफ्तार किया जाता है । निवारक निरोध का उद्धेश्य व्यक्ति को अपराध के लिए दंड देना नही,वरन उसे अपराध करने से रोकना है ।
23 मई,1995 को इसे समाप्त कर दिया गया ४) पोटो (prevention of terrorism ordinance,2001): इसे 25 अक्टूबर,2001 को लागू किया गया था । ‘पोटो’ टाडा का ही एक रूप है। इसके अंतर्गत कुल 23 आतंकवादी गुटों को प्रतिबंधित किया गया है । आतंकवादीऔर आतंकवादियों से संबंधित सूचना को छिपाने वालो को भी दंडित करने का प्रवधान किया गया है ।
पुलिस शक के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है ,किन्तु बिना आरोप-पत्र के तीन माह से अधिक हिरासत में नही रख सकती । पोटा के अंतर्गत गिरफ्तार व्यक्ति हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है, लेकिन यह अपील भी गिरफ्तारी के तीन माह बाद ही हो सकती है । पोटो 28 मार्च 2002 को अधिनियम बनने के बाद पोटा हो गया । इसे 21 सितम्बर,2004 को अध्यादेश के द्वारा समाप्त कर दिया गया । Kya hai Tada Act-Pota Act and UAPA act
क्या है उपा एक्ट : Unlawful Activities Prevention Act
टाडा व पोटा की तरह उपा एक्ट भी गैरकानूनी कार्यों को रोकने के लिए सख्त कानून है। उपा यानि Unlawful Activities Prevention Act यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम है. इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों पर रोकथाम लगाना है. पुलिस और जांच एजेंसियां इस कानून के तहत ऐसे आतंकियों, अपराधियों और संदिग्धों को चिन्हित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं.
यूएपीए कानून को साल 1967 में लाया गया था. इस कानून में लगातार संशोधन होते रहे. 2019 में यूएपीए कानून में संशोधन किया गया. जिसके बाद से इस कानून के तहत जांच के आधार पर किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को आंतकवादी घोषित किया जा सकता है. यूएपीए में विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाता है।
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