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What is Juvenile Justice Act 2015 In Hindi
क्या है जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 की धारा 75
What is Juvenile Justice Act 2015 In Hindi- जुवेनाइल जस्टिस (केयर और संरक्षण) एक्ट, 2015 भारतीय संसद का एक अधिनियम है जो ऐसे बच्चों के संबंध में कानून को संकलित और संशोधित करता है जिन्हें अपराधित माना जाता है और जिन्हें देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता होती है। यह एक्ट 31 दिसंबर, 2015 को पारित किया गया और 15 जनवरी, 2016 को प्रभावी हुआ। इस एक्ट के माध्यम से, बच्चों की सुरक्षा, आश्रय और पुनर्वास की व्यवस्था को मजबूत किया गया है और उन्हें उचित न्यायप्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया जाता है।
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Juvenile Justice Act 2015 In Hindi
इस अधिनियम में कई महत्वपूर्ण धाराएं (sections) हैं जो बच्चों के अधिकारों, उनकी सुरक्षा और उनके देखभाल को संरक्षित करने के लिए विविध प्रावधान करती हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण धाराएं निम्नलिखित हैं:
- धारा 2: अधिकारों की परिभाषा
- धारा 3: धारा 2 में परिभाषित अधिकारों का लाभ
- धारा 4: अपराधित बालकों की परिभाषा
- धारा 12: बालकों की विशेष जरूरतों की पहचान
- धारा 14: बालकों के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की स्थापना
- धारा 18: बालकों की जरूरतों की न्यायिक सुनवाई
- धारा 24: बालकों की देखभाल और संरक्षण की व्यवस्था
- धारा 37: बालकों के पुनर्वास की व्यवस्था
- धारा 52: बालकों के उपचार और शिक्षा की व्यवस्था
- धारा 64: बालकों के बन्धन से संबंधित विधि
ये कुछ ही धाराएं हैं जो इस अधिनियम के अंतर्गत शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक धारा विभिन्न अधिकार, प्रक्रिया और प्रावधानों को संबंधित करती है और इस अधिनियम के व्यापक धाराओं के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण और उनके अधिकारों का प्रतिपादन किया जाता है। What is Juvenile Justice Act 2015 In Hindi
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जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 की धारा 75
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 की धारा 75 में बालकों को संस्थानों से छुड़ाए जाने के विषय में व्याख्या की गई है। इस धारा के अनुसार, बालक संस्थान से इसलिए छुड़ाए जा सकते हैं:
- जब बालक ने संस्थान में रहने की अधिकतम अवधि पूरी की हो।
- जब बालक को पुनर्वास कराया गया हो और उसे अब देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता नहीं हो।
- जब बालक को जमानत या पैरोल पर रिहा किया गया हो।
- जब बालक को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड या न्यायालय के आदेश के अनुसार रिहा किया गया हो।
इस धारा के माध्यम से संस्थानों से छूटने के बाद, बालकों को उनके छुटने के बाद आफ्टरकेयर सुविधाओं में स्थानांतरित किया जा सकता है।