अमृतपाल का वकील पहुंचा हाई कोर्ट , अमृतपाल को कोर्ट में पेश करे पंजाब पुलिस-Habeas corpus petition filed in court on behalf of Amritpal’s lawyer 01
अमृतपाल का वकील पहुंचा हाई कोर्ट , अमृतपाल को कोर्ट में पेश करे पंजाब पुलिस
अमृतसर : वारिस पंजाब दे के मुखी अमृतपाल केस को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है।Habeas corpus petition filed in court on behalf of Amritpal’s lawyer अभी अभी वारिस पंजाब दे के लीगल एडवाइज़र ईमान सिंह खारा ने हाई कोर्ट में पटीशन डाली गयी है। इसमें अधिवक्ता ने कहा कि पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को कल दोपहर से ही अपनी हिरासत में ले रखा है लेकिन अभी तक उसे कोर्ट में पेश नहीं किया गया है क्यूंकि कानूनन उसे गिरफ्तारी के बाद 24 घंटों के अंदर कोर्ट में पेश करना होता है।Habeas corpus petition filed in court on behalf of Amritpal’s lawyer
इस हब्स करप्स पटीशन में लीगल एडवाइज़र ने जलंधर व अमृतसर के जिला पुलिस मुखी व जलंधर रूरल व अमृतसर रूरल दोनों थानों के एसएचओ को भी पार्टी बनाया है।
पंजाब सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में जवाब :Habeas corpus petition filed in court on behalf of Amritpal’s lawyer
पंजाब सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल विनोद घई पेश हुए उन्होंने हाई कोर्ट को अमृतपाल के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। एडवोकेट घई ने कोर्ट में बताया कि अभी तक पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को गिरफ्तार नहीं किया है। अमृतपाल अभी भी भगोड़ा है। इस मामले में कोर्ट ने वारंट अफसर नियुक्त करने से मना कर दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में एक नोटिस जारी कर पंजाब सरकार से जवाब माँगा है।Habeas corpus petition filed in court on behalf of Amritpal’s lawyer
यह सुनवाई जस्टिस सिखावत के घर पर हुई क्यूंकि आज कोर्ट में छुट्टी थी। आपको बता दें कि खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल कल से ही पंजाब पुलिस की गिरफ्त से बाहर है वह उस समय पुलिस को चकमा देकर फरार होने में कामयाब हो गया जब पुलिस उसके सहयोगियों को गिरफ्तार कर रही थी।
Habeas corpus Petition Explain -(बंदी प्रत्यक्षीकरण)
निश्चित रूप से! “बंदी प्रत्यक्षीकरण” एक कानूनी शब्द है जो एक अदालत या न्यायाधीश द्वारा जारी एक रिट या आदेश को संदर्भित करता है जिसके लिए एक व्यक्ति को अदालत या न्यायाधीश के सामने पेश करने की आवश्यकता होती है जिसे हिरासत में लिया जा रहा है या कैद किया जा रहा है, ताकि अदालत यह निर्धारित कर सके कि उनकी नजरबंदी सही है या नहीं। Habeas corpus petition filed in court on behalf of Amritpal’s lawyer
“बंदी प्रत्यक्षीकरण” वाक्यांश “आपके पास शरीर होगा” के लिए लैटिन है। बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट का अंग्रेजी और अमेरिकी कानून में एक लंबा इतिहास है, और इसे एक मौलिक अधिकार माना जाता है और मनमाना और गैरकानूनी नजरबंदी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट का उद्देश्य सरकार को बिना कारण या कानून की उचित प्रक्रिया के व्यक्तियों को हिरासत में रखने से रोकना है। यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्तियों के पास अपनी हिरासत को अदालत में चुनौती देने का अवसर है, और यह कि सरकार के पास उन्हें रखने का कानूनी आधार है।Habeas corpus petition filed in court on behalf of Amritpal’s lawyer
जब कोई व्यक्ति बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करता है, तो वह अनिवार्य रूप से अदालत से अपने हिरासत की वैधता की समीक्षा करने के लिए कह रहा है। अदालत नजरबंदी के कारणों और इसके कानूनी आधार की जांच करेगी, और यह निर्धारित करेगी कि हिरासत वैध है या नहीं।
यदि न्यायालय यह निर्धारित करता है कि निरोध अवैध है, तो वह उस व्यक्ति की रिहाई का आदेश दे सकता है जिसे हिरासत में लिया जा रहा है। यदि अदालत यह निर्धारित करती है कि निरोध वैध है, तो व्यक्ति हिरासत में रहेगा।
बंदी प्रत्यक्षीकरण सत्ता के सरकारी दुरुपयोग के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सुरक्षा है, और इसे लोकतांत्रिक समाजों की आधारशिला माना जाता है। बंदी प्रत्यक्षीकरण के माध्यम से निरोध को चुनौती देने के अधिकार के बिना, व्यक्तियों को बिना किसी मुकदमे के या बिना किसी कानूनी सहारा के अनिश्चित काल तक रखा जा सकता है।
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