Beadbi Mamla Bargadi : राजनितिक दबाव के भेंट चढ़ा बेअदबी मामला , महिंदर पाल बिट्टू की डायरी से हुआ पुलिस की काली करतूतों का पर्दापास
बरगाड़ी बेअदबी मामले को अब करीब छ साल से ऊपर का समय हो चूका है लेकिन अभी तक पंजाब पुलिस बरगाड़ी के असल दोषियों तक पहुंचने में नाकामयाब रही है। बता दें कि एक जून 2015 को बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरूद्वारा साहिब से पावन ग्रंथ की चोरी हुए थे इसके बाद 25 सितंबर 2015-बुर्ज जवाहर सिंह के गुरूद्वारा साहिब के बाहर पोस्टर लगाने की घटना हुई , फिर 12 अक्तूबर 2015-बरगाड़ी के गुरूद्वारा साहिब के बाहर पावन ग्रंथ की बेअदबी की घटना हुई। तब से लेकर अब तक इस मामले चार जाँच एजेंसी जाँच कर चुकी हैं लेकिन मामला वहीं अटका हुआ है।
बेअदबी मामले का राजनीतिकरण
मामला साल 2020 तक तो बिलकुल धीमी गति से चल रहा था लेकिन जैसे ही साल 2021 आया इस मामले ने पंजाब की सियासत में हलचल शुरू कर दी , क्यूंकि पंजाब में राजनितिक पार्टियां इसी मामले को लेकर चुनाव लड़ रही हैं। उनके पास पंजाब के लोगों के लिए कोई और मसला ही नहीं है जब कोई उनसे पिछले 4 सालों में किये कार्यों की रिपोर्ट मांगता है तो ये राजनितिक पार्टी बेअदबी का राग अलापना शुरू कर देती है। चार सालों की रिपोर्ट ये पेश करें तो कैसे करें ? क्यूंकि चार सालों में इन्होने ऐसा कुछ तो किया ही नहीं जिसे जनता संतुष्ट होती। बेअदबी मामले में इंसाफ सभी चाहते हैं लेकिन वो राजनीतक मामला नहीं है बल्कि न्यायक मामला है उसकी जाँच की जा रही है मामला कोर्ट में विचाराधीन है फिर क्यूंकि राजनितिक पार्टियां कोर्ट व् जाँच अधिकारीयों को अपने दबाव में लेना चाहती है ?
बेअदबी मामले में सीबीआई की जाँच रिपोर्ट
आपको बता दें बेअदबी मामले में पहले जस्टिस रंजीत सिंह कमेटी बनी इस कमेटी ने अपनी जाँच में घटनास्थल पर मिले पोस्टरों के आधार पर अपनी जाँच आगे बढ़ाई जिसमे कुछ डेरा सच्चा सौदा के डेरा प्रेमियों को शामिल किया गया क्यूंकि वहां जो पोस्टर मिले थे उनमे डेरा सच्चा सौदा के नारे लिखे हुए थे। फिर उसके बाद सिख संगतों ने बहिलकलां में आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए धरना लगाया हुआ था तब वहां 14 अक्तूबर 2015-बहिबल कलां में पुलिस फायरिंग में दो नौजवानों की मौत हो गयी उस गोलीकांड में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल का नाम सामने आया था। इस जाँच के बाद एक और जाँच जसिटस जोरा सिंह मान कमेटी बनाई गयी। फिर ये जाँच सीबीआई को सौंप दी गयी सीबीआई ने इस मामले में हर पहलुओं पर जाँच शुरू की।
सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में बेअदबी मामले में अपनी जांच प्रक्रिया के हर पहलु को सामने रखा है और पंजाब पुलिस की जांच पर बड़े सवाल खड़े किए है। बरगाड़ी बेअदबी मामले की पड़ताल में पंजाब पुलिस के विफल रहने के बाद तत्कालीन शिअद सरकार ने 2 नवंबर 2015 को बरगाड़ी बेअदबी से जुड़ी तीनों घटनाओं ( पावन स्वरूप चोरी होने, गुरूद्वारा साहिब के बाहर पोस्टर लगाने व पावन स्वरूप की बेअदबी करने) की जांच केंद्रीय एजेंसी सीबीआई को सौंप दी थी। क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई ने बरगाड़ी बेअदबी केस को सुलझाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
जांच के तहत गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला, बरगाड़ी समेत आसपास के गांवों के मोबाइल टावरों से फोन काल्ज डिटेल का डाटा चेक किया गया और अनेकों अनेक लोगों के फिंगर प्रिंट लेकर भी जांच में शामिल किए लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। मई 2016 में सीबीआई ने बेअदबी मामले का सुराग देने वाले के लिए 10 लाख रूपये ईनाम भी रखा लेकिन कोई सामने नहीं आया। उक्त केस के समय राज्य भर में 53 बेअदबी के केस पेश आए थे जिनमें से कई केस पुलिस ने सुलझा लिए थे।
सीबीआई ने इन केसों में पकड़े गए आरोपियों के साथ साथ जांच अधिकारियों से भी जानकारी जुटाई लेकिन किसी से भी बरगाड़ी केस का सुराग नहीं मिला। सीबीआई के अनुसार पंजाब पुलिस द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने अपनी जांच को आगे बढ़ाया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। सीबीआई भी प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं मिला। इसके बाद सीबीआई ने पंजाब पुलिस द्वारा आरोपी ठहराए गए सभी 10 डेरा अनुयायियों समेत कुल 49 संदिग्ध लोगों के फिंगरप्रिंट व हेड राइटिंग की जांच करवाई।
साथ ही डेरा प्रेमी महिंदरपाल बिट्टू, सुखजिंदर सिंह सन्नी व शक्ति सिंह की लाई डिटेक्टिव टेस्ट समेत अन्य फोरेंसिक व मनोवैज्ञानिक टेस्टों के साथ साथ लेयरड वायस ऐलिसिस टेस्ट, नई दिल्ली स्थित सीएफएसएल से करवाए गए लेकिन रत्ती भर भी सुराग नहीं मिला। केस की तह पर पहुंचने के लिए सीबीआई ने केस के शिकायतकर्ता ग्रंथी गोरा सिंह, उसकी पत्नी स्वर्णजीत कौर के अलावा गुरमुख सिंह, जसवंत सिंह लक्की, अमनदीप सिंह समेत कुल 18 लोगों के पोलीग्राफ टेस्ट भी करवाए लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ पाई।
सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि उसे पंजाब पुलिस के उस दावे में भी कोई सच्चाई नहीं मिली जिसमें उन्होंने तथाकथित आरोपी डेरा प्रेमियों के घटना में दो गाडिय़ां उपयोग का खुलासा किया गया था। पंजाब पुलिस के अनुसार बुर्ज जवाहर सिंह से पावन ग्रंथ चोरी करने के लिए शक्ति सिंह ने अपनी आल्टो कार नंबर पीबी-30 आर-6480 का प्रयोग किया लेकिन सीबीआई ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह गाड़ी शक्ति सिंह के भाई रविंदर सिंह ने 28 अगस्त 2016 को मलोट की एक फर्म से खरीदी थी जिसपर पहले दिल्ली का नंबर था जबकि यह घटना जून 2015 की है।
इसके अलावा पावन ग्रंथ की बेअदबी के बाद बाकी हिस्से को ठिकाने लगाने के लिए महिंदरपाल बिट्टू द्वारा इंडिगो कार नंबर पीबी-11 डब्ल्यू-7114 का प्रयोग करने का दावा किया गया जबकि यह कार घटना के काफी समय बाद जनवरी 2017 में महिंदरपाल बिट्टू के बेटे दविंदर ने खरीदी थी। सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कुल 106 गवाहों के ब्यानों का उल्लेख किया है। सीबीआई ने अपनी 1200 पनो की क्लोज़र रिपोर्ट न्यालय में पेश की थी।
लेकिन उसके बाद फिर राजनीतक फायदे के लिए जब सीबीआई की रिपोर्ट पर अदालत का फैसला पेंडिग था उसके बिच ही पंजाब सरकार ने जल्दबाज़ी करते हुए जाँच को सीबीआई से वापस ले लिया फिर नई एसआईटी बनाई गयी जो अभी जाँच कर रही है। ये जाँच से ज्यादा अपने राजनितिक आकाओं को कुश रखने की कोशिश ज्यादा लग रही है। क्यूंकि जब सीबीआई जैसी केंद्रीय जाँच एजेंसी इस मामले में पंजाब पुलिस द्वारा बनाये कथित आरोपिओं को क्लीन चिट दे चुकी है तो पंजाब पुलिस की जाँच के क्या मायने रहते हैं ? ये समझने वाली बात है।
महिंदर पाल बिट्टू ने अपनी डायरी में पुलिस व राजनीतक षड्यंत्र के किये बड़े खुलासे
बेअदबी मामले में मुख्य आरोपी माने जा रहे डेरा प्रेमी महिंदर पाल बिट्टू की 22 जून 2019-नाभा जेल में हत्या कर दी गयी थी। हत्या पुलिस कस्टडी में हुई थी। अभी महिंदर पाल बिट्टू की जेल से लिखी एक 32 पेज की डायरी वायरल हो रही है जिसमे महिंदर पाल बिट्टू ने पंजाब पुलिस सीआईए स्टाफ व एसआईटी , डीआईजी , एसएसपी , एसआई लेवल के अधिआरिओं पर बहुत ही संगीन अत्याचार के बारे में खुलासा किया है।
महिंदर पाल बिट्टू ने लिखा है कि पंजाब पुलिस के सीआईए स्टाफ ने उसे अवैध रूप से हिरासत में रखा उसके साथ बेहद हैवानियत भरा व्यवहार किया गया यही नहीं उसे जुर्म कबूल करवाने के लिए मेंटली व शरीरक तोर भी बहुत बुरी तरह से टॉर्चर किया गया। बिट्टू ने पहले भी अपने परिजनों को जेल मुलाकात में बताया था कि उसकी हत्या कभी भी की जा सकती है क्यूंकि यहां के कुछ कैदी व कुछ पुलिस मुलाजिम उसे घूरते रहते हैं। महिंदर पाल बिट्टू ने पुलिस के काळा कारनामों की सारी दर्दभरी कहानी अपनी 32 पेज की डायरी में लिखी है अब इस डायरी के आधार पर बिट्टू के परिजनों ने हाईकोर्ट का रुख किया है।
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