what is narco test and polygraph test : क्या होता है नार्को टेस्ट व् पोलोग्राफी टेस्ट।difference between narco test and polygraph test 01

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what is narco test and polygraph test : क्या होता है नार्को टेस्ट व् पोलोग्राफी टेस्ट।difference between narco test and polygraph test

नार्को टेस्ट (narco test )व पोलोग्राफी टेस्ट जैसे शब्द अक्सर ही हम न्यूज़ में सुनते व पढ़ते रहते हैं। आखिर क्या होता है ये नार्को टेस्ट व पॉलीग्राफी टेस्ट , इन दोनों में अंतर क्या होता है। क्यों किये जाते हैं ये टेस्ट। क्या इन टेस्ट का मनुष्य पर कोई साइड इफ़ेक्ट भी पड़ता है ? इन सभी के उत्तर आज हम जानेंगे।what is narco test and polygraph test

नार्को टेस्ट व पॉलीग्राफी टेस्ट क्यों किये जाते हैं : what is narco test and polygraph test

नार्को टेस्ट व पॉलीग्राफी टेस्ट किसी मरीज़ के होने वाले टेस्ट नहीं हैं बल्कि ये किसी वारदात में शामिल किसी आरोपी के किये जाते हैं। ऐसा आरोपी जो जुर्म करने के बाद अदालत व पुलिस को गुमराह करता है। जुर्म काबुल नहीं करता या किसी तरह से जुर्म को छुपाने की कोशिश करता है ऐसे आरोपी के ये नार्को टेस्ट व पॉलीग्राफी टेस्ट किये जाते हैं। हालाँकि जरूरत के मुताबिक कोई एक टेस्ट भी किया जा सकता है। ऐसा नहीं की दोनों टेस्ट एक साथ ही किये जाते हों। कभी कभी पॉलीग्राफी टेस्ट से ही आरोपी के जुर्म के बारे में आसानी से पता चल जाता है।what is narco test and polygraph test

क्या होता है नार्को टेस्ट :

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नार्को टेस्ट ऐसा टेस्ट होता है जिसे जुर्म करने वाले दोषी भी तोते की तरह सच सच बोलने लगते हैं। अभी ये टेस्ट इस श्रद्धा वाकर के हत्यारे आफताब का किया जाना है। आपको बता दें कि इन टेस्ट को करने के लिए अदालत से मंजूरी भी लेनी पड़ती है। पुलिस अपनी मर्ज़ी से बिना मंजूरी के ये टेस्ट नहीं कर सकती है। नार्को टेस्ट में आरोपी को इंजेक्शन द्वारा सोडियम पेंटोथल दवा दी जाती है। जिसे आरोपी बेहोस हो जाता है लेकिन उसका दिमाग काम करता रहता है यानि उसके सोचने की शक्ति खत्म हो जाती है। what is narco test and polygraph test

ऐसे में आरोपी व्यकित किसी भी प्रश्न का उत्तर सोच समझ कर नहीं दे सकता बल्कि जो उसके दिमाग में आएगा वह ही दे सकेगा। इसके बाद आरोपी को जुर्म सबंधी सवाल पूछे जाते है इस समय चूँकि आरोपी को होश नहीं होता है इसलिए जो उसके दिमाग में होता है या जो उसने किया होता है वह सच सच बता देता है।
नार्को टेस्ट करते समय पूरी सावधानी बरतनी पड़ती है क्यूंकि थोड़ी सी भी लापरवाई से व्यकित की मौत हो सकती है। नार्को टेस्ट करते समय मनोवैज्ञानिक डॉक्टर भी पास रहते हैं। इस टेस्ट में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है। what is narco test and polygraph test

क्या होता है पॉलीग्राफी टेस्ट :

पॉलीग्राफी टेस्ट नार्को टेस्ट से बिलकुल अलग होता है इसमें आरोपी को कोई डोज नहीं दी जाती बल्कि ये एक साइंटिफिक टेस्ट होता है। ये टेस्ट एफएसएल में होता है। इस टेस्ट में आरोपी के शरीर पर नज़र रखी जाती है। इसमें व्यक्ति के ब्लड प्रेशन, हार्ट रेट, प्लस रेट, शरीर से निकलने वाले पसीने की जांच, हाथ-पैरों का मूवमेंट आदि की जांच होती है. इस टेस्ट में मरीज को किसी भी प्रकार की दवाई नहीं दी जाती। what is narco test and polygraph test

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अगर मरीज़ झूठ बोलता है तो तो उसकी पल्स रेट, हार्ट रेट और शारीरिक गतिविधियों में बदलाव होता हैं. जैसे की पसीना आना, धबराना, रोना आदि क्योंकि यदि व्यक्ति झूठ बोलता है तो वो सोचने लगता है, वो घबरा जाता है. जिससे ये पता चल जाता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है.what is narco test and polygraph test

इसीलिए नार्को टेस्ट से पहले व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियों की जांच के लिए पॉलीग्राफी टेस्ट किया जाता है। आपको बता दें कि हर मामलों में नार्को टेस्ट से पहले पॉलीग्राफी टेस्ट करना जरूरी नहीं होता लेकिन गंभीर मामलों में नार्को से पहले पॉलीग्राफी टेस्ट किया जाता है। पॉलीग्राफी टेस्ट में कई बार पूरा दिन लग जाता है या अगला दिन भी लग सकता है। ये टेस्ट एक्सपर्ट की निगरानी में किया जाता है।

क्या इन टेस्ट में गारंटी होती है की आरोपी सच बोलता है :what is narco test and polygraph test

विशेज्ञों के अनुसार इन टेस्ट करने के बाद भी ये गारंटी नहीं होती की आरोपी ने जो कुछ कहा वो बिलकुल ठीक था। क्यूंकि कई आरोपी अपनी भावनाये कंट्रोल करने में भी समर्थ होते हैं यानि उन पर नशे का प्रभाव उतना नहीं पड़ता वो होश में रहते हैं फिर वो सोच समझ कर भी उत्तर दे सकते हैं फिर उनके नार्को टेस्ट का कोई महत्व नहीं रहता है। आपको बता दें कि नार्को टेस्ट में नशे की हैवी डोज दी जाती है। लेकिन ये व्यकित के शरीरक समर्था व उम्र के हिसाब से दी जाती है।what is narco test and polygraph test

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आपको बता दें कि नार्को टेस्ट करने से पहले आरोपी की सहमति लेना भी जरूरी होता है अदालत से भी आज्ञा ली जाती है। अगर आरोपी इसके लिए तैयार नहीं हो तो पुलिस नार्को टेस्ट नहीं कर सकती। आरोपी जो कुछ बताता है पुलिस बाद में उसे फिजिकली जाकर चेक करती है। क्यूंकि नार्को टेस्ट को अदालत में प्रूफ को तोर पर नहीं माना जाता। ये बस पुलिस जाँच को थोड़ा आसान बनाने व आगे बढ़ाने के लिए होता है।


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