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Kya EVM Machine Hack Skti hai
क्या Hack हो सकती है EVM मशीनें ? जानिए कैसे काम करती हैं वोटिंग मशीनें
नई दिल्ली : जब जब चुनाव आते हैं तो देश में ईवीएम मशीनों का जिक्र जरूर होने लगता हैं . जब से वोटिंग के लिए इलेक्ट्रिक मशीनें आई हैं इनके परिणामों पर विपक्षी पार्टियां सवाल उठाने लगती हैं जबकि उन्हें किसी चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ता हैं . हालाँकि हमारा मकसद यहाँ पर किसी विपक्ष पार्टी को झूठा साबित करना या किसी एक सत्ता पक्ष पार्टी को सच्चा साबित करना नहीं हैं बल्कि हम आज इस पैराग्राफ में ये जानेंगे कि क्या वास्तव में ईवीएम हैक हो सकती हैं ? क्या सच में एवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती हैं ? या फिर ये वोटिंग मशीनें कैसे काम करती हैं ?
क्या हैं एवीएम मशीन –
एवीएम यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन जिसे साल 2004 के लोकसभा चुनावों में भारत में लाया गया था . यहाँ इससे पहले बैलेट पेपर यानि मतपेटी से वोटिंग हुआ करती थी . साल 2004 में मनमोहन के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी थी . इसके बाद दस साल तक डा. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री रहे . एवीएम से वोटिंग के लिए मतदाताओं को मशीन से एक बटन दबाना होता है जिसे वोटिंग हो जाती है वहीँ किसी आपात स्तिथि में चुनाव अधिकारी भी एक बटन दबा कर इस मशीन को बंद कर सकते हैं ताकि वोटिंग वहीं रुक जाये .
इस मशीन को अब तक 113 विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल किया जा चुका है. इन मशीनों के प्रयोग से मतगणना का काम बहुत तेज़ी से होता है.
Kya EVM Machine Hack Skti hai
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एक लोकसभा सीट के लिए डाले गए मतों को महज़ तीन से पांच घंटों में गिना जा सकता है जबकि बैलट पेपर के दौर में इसी काम को करने में 40 घंटों का समय लगता था.
इसके साथ ही मशीन फर्ज़ी मतों को अलग कर देती है जिससे ऐसे वोटों को गिनने में लगने वाले समय और ख़र्च में ख़ासी कमी आई है.
पांच साल पहले सर्वोच्च न्यालय ने ईवीएम के साथ एक वीवीपैट मशीन भी जोड़ने का आदेश दिया था वीवीपैट यानि जब कोई वोटर वोटिंग करेगा उसकी एक रसीद उस मशीन पर सात सेकंड के लिए दिखाई देती है उसके बाद वो एक पेटी में चली जाती है . उस रसीद पर ये दर्ज़ होता है कि वोटर ने किसे वोट दिया उस उमीदवार का नाम और उसकी पार्टी का चिन्न सीरियल नंबर भी दिखाई देता है .
क्या एवीएम में हैकिंग संभव है –
वोटिंग मशीन में विपक्ष पार्टी हमेसा से हैकिंग के सवाल उठाती रही है . अगर इसमें चुनाव आयोग का पक्ष देखे तो चुनाव आयोग ने हमेसा से ही इस बात से इंकार किया है . आयोग का कहना है कि हैकिंग बिलकुल भी संभव नहीं है . लेकिन समय-समय पर इन मशीनों के हैक होने की आशंकाएं सामने आती रही हैं | आठ साल पहले, अमरीका की मिशिगन यूनिवर्सिटी से जुड़े वैज्ञानिकों ने एक डिवाइस को मशीन से जोड़कर दिखाया था कि मोबाइल से संदेश भेजकर मशीन के नतीजों को बदला जा सकता है.
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हालांकि, भारत की आधिकारिक संस्थाओं ने इस दावे को ख़ारिज करते हुए कहा था कि मशीन से छेड़छाड़ करना तो दूर, ऐसा करने के लिए मशीन हासिल करना ही मुश्किल है.वेनेज़ुएला में साल 2017 के चुनावों में डाले गए मतों की कुल संख्या कथित रूप से असली संख्या से दस लाख ज़्यादा निकली. हालांकि, सरकार इसका खंडन करती है.
अर्जेंटीना के राजनेताओं ने इसी साल मतों की गोपनीयता और नतीजों में छेड़छाड़ की आशंकाएं जताते हुए ई-वोटिंग कराने की योजना से किनारा कर लिया है. बहरहाल दुनिया के बड़े देश जो पहले ईवीएम के समर्थन में थे अब उन्होंने एवीएम से किनारा कर लिया है वहां दुवारा से बेल्ट पेपर से चुनाव होने लगे हैं . इसलिये अब भारत में भी ईवीएम बैन करने को लेकर मांग उठने लगी है |