July 4, 2024
Jamin ki Registry Kaise Kare Hindi

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जमीन की रजिस्ट्रियां कैसे होती है। क्या है जमीन रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908

आज के इस पैराग्राफ में हम भारत में जमीन की रजिस्ट्रयां कैसे होती हैं यानि इनके लिए देश में क्या कायदे – कानून हैं इसकी चर्चा करेंगे। भारत में जमीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत होती है। इस कानून के अंतर्गत, जमीन की रजिस्ट्रयां के प्रावधान और विधियों का निर्धारण किया गया है। इसमें कई मुख्य धाराएँ शामिल हैं जो जमीन की रजिस्ट्रयां को नियंत्रित करते हैं। प्रमुख धाराओं में शामिल हैं –

जमीन रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धाराएं :

  1. धारा 17: इस धारा में जमीन की वास्तविक कीमत को तय करने और रजिस्ट्री पर शुल्क दर्ज करने का प्रावधान है।
  2. धारा 32: इसमें प्रावधान है कि रजिस्ट्री के लिए आवश्यक प्रमाणपत्र और दस्तावेज़ दर्ज करने की व्यवस्था।
  3. धारा 49: यह धारा बदलाव या सही करने की व्यवस्था करता है अगर रजिस्ट्री में किसी प्रकार की ग़लती या असही स्थिति पाई जाती है।
  4. धारा 53A: इसमें वस्तु के रजिस्ट्री का अधिकार वस्तु के मालिक या उनके वकील को दिया जाता है।
  5. धारा 74: इस धारा में रजिस्ट्री पर लगने वाले साक्षम शुल्क का भुगतान करने का प्रावधान है।

धारा 32- भारतीय भूमि रजिस्ट्री प्रक्रिया कानून, 1908 के अंतर्गत आता है। यह धारा उन नियमों को संदर्भित करती है जो जमीन की रजिस्ट्री के लिए आवश्यक प्रमाणपत्र और दस्तावेज़ों को दर्ज करने की व्यवस्था करती है।

इस धारा के अनुसार, जब कोई व्यक्ति जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए अधिकारी के पास आता है, तो उसे अपने द्वारा जमीन के मालिकाना हक पर प्रमाण प्रस्तुत करने और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ों को भी साथ में प्रस्तुत करना होता है। इसमें सामान्यत: जमीन का मालिक के पास हस्ताक्षरित खरीदनामा, संपत्ति के स्वामित्व का प्रमाण, निर्माण की स्वीकृति, विधिमान्य पहचान प्रमाणपत्र, और किसी भी पिछले दाखिलाख़ के दस्तावेज़ जैसी वस्तुएं शामिल हो सकती हैं।

धारा 32 के अनुसार, यह दस्तावेज़ और प्रमाणपत्र अधिकारी द्वारा सत्यापित होने के बाद ही जमीन की रजिस्ट्री की जाती है। इससे सुनिश्चित होता है कि रजिस्ट्री प्रक्रिया नियमित और कानूनी तरीके से होती है और जमीन के मालिकाना हक का सही और विधिमान्य प्रमाण प्रस्तुत किया जाता है।

Jamin ki Registry Kaise Kare Hindi
Registration Act, 1908

रजिस्ट्री प्रकिरिया के उधारण सहित-

एक आदमी, रमेश, अपनी ज़मीन को अपने दोस्त राजेश को बेचना चाहता है। इसके लिए वह ज़मीन की दाखिलाख़ों के लिए “रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908” के नियमों का पालन करना चाहता है।

सबसे पहले, रमेश ने अपनी ज़मीन की वास्तविक कीमत को तय किया, जिसे वह 20 लाख रुपये रखने का फ़ैसला किया। उसने यह भी निर्धारित किया कि वह राजेश को 2 लाख रुपये अग्रिम में ले रहा है।

अब रमेश ने अपने स्थानीय रजिस्ट्रार के पास जाकर ज़मीन की दाखिलाख़ों के लिए प्रस्ताव दिया। रजिस्ट्रार ने रमेश को धारा 32 के अंतर्गत प्रदत्त प्रमाणपत्र और दस्तावेज़ों की मांग की, जिसमें ज़मीन की सारी जानकारी और रमेश और राजेश के बीच के समझौते की प्रतिलिपि शामिल थी।

रमेश ने रजिस्ट्रार को 17वीं अध्याय के तहत शुल्क का भुगतान किया और फिर उन्होंने दाखिलाख़ों को दर्ज करने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज़ों को सबमिट किया।

थोड़ा समय बाद, रजिस्ट्रार ने दाखिलाख़ों की जाँच की और किसी भी प्रकार की ग़लती या अनियमितता को ध्यान में रखते हुए धारा 49 के अंतर्गत कोई बदलाव या सही करने का प्रावधान किया। रमेश ने इस बदलाव को कर दिया और फिर से दस्तावेज़ सबमिट किया।

आख़िर में, रमेश ने ज़मीन की दाखिलाख़ों पर लगने वाले साक्षम शुल्क का भुगतान किया, जो धारा 74 के अंतर्गत निर्धारित था।

इस तरह, रमेश ने “रजिस्ट्रेशन एक्ट” के मूल्यों का पालन करते हुए अपनी ज़मीन की दाखिलाख़ों की प्रक्रिया पूरी की और अपनी ज़मीन को राजेश को बेच दिया।


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