महिला दिवस नारी शक्ति: समाज की ताकत और प्रेरणा
महिला दिवस नारी शक्ति: समाज की ताकत और प्रेरणा
आओ ! महिला दिवस पर पहल करें अपने लिए कुछ समय निकाल कर सोचें और कुछ नया करें .
उंगली उठाने वालों को ज्ञान से जवाब देना जरुरी होता है यह कुछ गलत नहीं है इतना चुप भी अच्छा नहीं है .महिलाएं अक्सर सभी काम अच्छे से कर लेती है परिवार में किसी का ख्याल रखने की बात हो या रसोई में खाना बनाने की या फिर बजट बचा कर रखने की बात हो कोई भी बात में महिला पीछे नहीं है वह यह कभी नहीं कहती की मुझे नहीं आता या मुझसे नहीं होगा उसे सब आता है बीएस वो सब कुछ ध्यान में रखे हुए अपना ख्याल भूल जाती है .
भावनाओं का प्रदर्शन करना कोई कमजोरी की निशानी नहीं है पर जब सख्ती करनी हो तो वो भी बहुत जरूरी है लोगों को उनकी सही जगह दिखाना बिलकुल गलत नहीं है .
International Women’s Day events 2024
- हर बात पर माफ़ी मांगना छोड़ दीजिए -कई बार राह चलते या कहीं भी आप किसी के सामने से टकराने पर महिला ही माफ़ी मांगती है कई बार गलती हो माफ़ी मांगना अच्छी बात है अपनी भूल स्वीकारनी चाहिए पर अपने होने को स्वीकाने में झिझकना नहीं चाहिए .बल्कि
- सोचें -जब आपको लगे कि आप किसी के रस्ते में आ गयी है तो तुरंत माफ़ी मांगने के वजह सोचें कि आपकी अपने कोई जगह है अहमियत है अपने होने पर शर्मिंदा न हों .
- अपने आप को आखिर में न रखें -महिला हर बार सबके बारे में पहले सोचती है जैसे शॉपिंग टाइम पर सबके लिए सामान लिए अपने बारी पर बजट चेक करना फिर अपने लिए कुछ नहीं लेना ,सब खाना खा लें तब खाना खाती है इत्यादि .
- ध्यान दें -अपनी परवाह न करने वालों को किसी की परवाह नहीं मिलती ,उसे सबके लिए उपलब्ध माना जाता है उसे भी किसी की जरूरत होगी इस और किसी का ध्यान नहीं जाता फिर कभी उसे संभालना पड़े तो कहते है तुम खुद से कब संभालने लगोगी .
- स्त्री के हर फैसले का सम्मान करना चाहिए .
इस बारे में महिलाओं से बेहतर कौन जान सकता है कि अच्छा कहलाए जाने के लिए वो क्या कुछ नहीं करती कितना दर्द झलती है कितने अपने अरमानो का गला घोटती है .बुरा या गलत होना स्वीकार नहीं किया जा सकता पर अच्छे कहलाए जाने के लिए अलग ढंग से जीना भी तो गलत है . - यह करें -भला होना एक व्यवहार है ,पर अच्छा बनने के लिए सब सहना गलत है .भला होने पर कहा जाना ठीक रहेगा कि मुझे यह व्यवहार स्वीकार नहीं ,क्योंकि मुझे यह परेशान करता है .
नियम ,कायदे, अनुशाशन इन सबसे स्त्री का वाश्ता बचपन से ही हो जाता है उठने -बैठने का सलीका इतियादी . - ध्यान रहे -कायदे किसी एक के हिसे में आने से दूसर को पूरी छूट मिल जाती है .आप भी खुल के जिएं और वो सब बेझिझक करें जो आपका मन करता हो क्योंकि आजादी पर आपका भी हक है यह आपसे कोई नहीं छीन सकता जब तक आप किसी को छीनने न दें .
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