Indian law on obstruction of road | मकान बनाते समय अपनी मर्जी से गली में नहीं रख सकते मलबा, रास्ता में रुकावट पैदा करने सबंधी भारतीय कानून -धारा 288 IPC
Indian law on obstruction of road आज हम आपको ऐसे नियम के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे बहुत ही कम लोगो को जानकारी होती है। इस नियम के बारे में जानकारी के आभाव में लोग कई कई महीनो या सालों तक परेशानी का सामना करते रहते हैं। ये नियम किसी भी घर बनाते समय या कोई अन्य इमारत का निर्माण करते समय रस्ते को रोकने सबंधी है जिसकी जागरूक लोग निगम से शिकायत कर सकते हैं। निच्चे इस सबंधी जानकरी दी जा रही है।
कई बार घर बनाते समय या दफ्तर बनाते समय लोग दूसरों की सुविधा का ध्यान नहीं रखते। निर्माण का काम शुरु होने से पहले ही और मकान बन जाने के बाद तक मलबा गली में ही पड़ा रहता है ,जिसके चलते राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे लापरवाह लोगों के खिलाफ जागरूक लोग कार्रवाई करवा सकते हैं ,लेकिन जागरूकता की कमी के कारण ज्यादातर लोग निगम की जानकारी में मामला लाकर समाधान करवाने की बजाय महीनों तक परेशानी झेलते हैं।
कोई भी निर्माण का काम शुरू करने से पहले निगम को सूचित करना जरुरी है। समय पर मलबे के निस्तारण की जिम्मेदारी संम्पति के मालिक और ठेकेदार की है। सेनेटरी इंस्पेक्टर और फिल्ड स्टाफ लापरवाही बरतने वालों के चलन काट सकते हैं। अपनी मर्जी से गली ,सड़क के किनारे या किसी के प्लॉट में मलबा या कोई अन्य सामान नहीं फेंक सकते।
कार्रवाई से बचने को मलबा फीस देनी जरुरी होती है
बिल्डिंग बनाने के लिए गली के 50 % हिस्से (10 फ़ीट से ज्यादा नहीं )में 6 महीने के लिए मलबा रख सकते हैं। आवेदन के साथ ही निगम को इसकी फीस देनी होती है। अगर निर्माण का काम ज्यादा देर तक चले तो एरिया के हिसाब से दोबारा फीस देनी पड़ती है। निर्माणकर्ता को सुनिचित करना होता है कि लोगों को धूल मिटटी से परेशानी न हो।
रास्ता बाधित होने पर निगम पर्याप्त जांच के बाद सामान जब्त या जुर्माना कर सकता है। वहीं ,आईपीसी की धारा 288 के तहत निर्माण के दौरान किसी को चोट या नुकसान की स्थिति में क़ानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे मामलों में जुर्माने के इलावा 6 महीने की सजा हो सकती है।
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