Afghanistan Updates : अफगानिस्तान पर हुआ तालिबान का कब्ज़ा , देश छोड़ भागे राष्ट्पति असरफ गनी।
अमरीकी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान में संकट काफी गहरा गया है वहां आये दिन जुर्म का नया इतिहास लिखा जाने लगा है , अब पुरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्ज़ा हो चूका है , सबसे बड़ी बात यहां के राष्ट्रपति असरफ गनी देश छोड़ कर भाग चुके हैं , वहीं अफगानिस्तान की पुलिस व सेना ने तालिबान के आगे सरेंडर कर दिया है।
तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करते हुए एलान किया है कि यहां सरिया कानून लागु होगा , साथ ही तालिबान ने देश का नाम भी बदल कर ‘Islamic Emirate of Afghanistan’ कर दिया है। वहीं तालिबान कब्ज़े से दुखी जनता save afganistan के नारे लगा रही है , साथ ही जो लोग देश छोड़ने में सक्षम हैं वह देश छोड़ कर जा रहे हैं कुछ लोग भारत में भी आ रहे हैं कुछ अन्य पडोशी देशों में जा रहे रहे हैं। खबर मिली है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भी देश छोड़ कर भाग चुके हैं उनके अपने सलहकारों के साथ तज़ाकिस्तान चले जाने की खबरें आ रही है। तालिबान के मुखी ने सता हस्तांतरण को लेकर गनी से बातचीत की थी , बाद में गनी देश छोड़ कर भाग गए। यहां की जनता के लिए तालिबान सबसे बड़ी मुसीबत बन चुके हैं। अफगानिस्तान की जनता तालिबान की 20 साल पहले की बर्बरता याद कर दुनियां को अफगानिस्तान का साथ देने के लिए बोल रही है।
तालिबान का सन 1998 में अफगानिस्तान पर कब्ज़ा था तब पूरा अफगानिस्तान तालिबान के कब्ज़े में था यहां पहले सरिया कानून लागु था जिसके चलते यहां पर मर्दों को दाढ़ी बढ़ाना, 10 साल से ऊपर की लड़कियों के लिए शिक्षा बंद , महिलों पर जुल्म , साथ ही छोटे छोटे मामलों में भी मौत जैसी सज़ा देना व चोरी की घटना पर भी शरीर का अंग काट देने जैसे जुर्म सरेयाम सड़कों पर किये जाते थे।
इसके बाद यहां अमरीकी सेना व अन्य देशों की नाटो सेना ने अफगानिस्तान को अपने हाथों में लिया और तालिबान को कमज़ोर करने में सफल हुए यहां पिछले 20 सालों में शांति कायम हो गयी थी और अफगानिस्तान अपने पैरों पर खड़ा हो रहा था लेकिन इसी बीच अमरीका और नाटो सेना घोषणा कर दी कि वो अब अप्रैल 2021 में अफगानिस्तान छोड़ जायेंगे और अफगानी सेना खुद अपने देश की सुरक्षा करेगी , इस घोषणा के बाद तालिबान ने फिर सर उठाना शुरू कर दिया और अपनी सेना और मजबूत करते चले गए। नाटो सेना और अमरीकी सेना जाने से पहले तालिबान से शांति बनाये रखने के लिए बातचीत भी की थी लेकिन सब बेकार गयी , अब मौके पर पुरे देश में तालिबान का कब्ज़ा हो चूका है , यहां की जनता तालिबान की हकूमत बिलकुल मंज़ूर नहीं कर रही है।
यहां सबसे बड़ा खतरा महिलाओं , नाबालिग लड़कियों व युवाओं पर है क्यूंकि यहां महिलों व लड़कियों के साथ बलात्कार व काम उम्र में शादी जैसे जुर्म आम होने वाले हैं साथ ही 10 साल से ऊपर की लड़किओं की शिक्षा पर भी पाबंदी है नाबालिग लड़कियों की शादी करवाना , महिलाओं के लिए बुरका पहनना व युवाओं को कोई रोजगार नहीं करने देना जैसी पाबंदियां यहां लगने वाली है। सड़कों पर कोड़े मारना , मर्दों को दाढ़ी बढ़ाने पर मजबूर करना भी जैसे जुर्म होने वाले है।
तालिबान ने आते ही ऐलान कर दिया है कि अब अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू होगा. हालांकि, लड़कियों को पढ़ाई करने की छूट दी जाएगी, लेकिन उन्हें बुर्का पहनना होगा और अन्य कानूनों का पालन करना होगा. ऐसे में तालिबान द्वारा लड़कियों पर अभी से ही सख्त रुख अपनाया जा रहा है
कौन है तालिबान ?
अफगानिस्तान से रूसी सैनिकों की वापसी के बाद 1990 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पाकिस्तान में तालिबान का उभार हुआ था. पश्तो भाषा में तालिबान का मतलब होता है छात्र खासकर ऐसे छात्र जो कट्टर इस्लामी धार्मिक शिक्षा से प्रेरित हों. कहा जाता है कि कट्टर सुन्नी इस्लामी विद्वानों ने धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से पाकिस्तान में इनकी बुनियाद खड़ी की थी. तालिबान पर देववंदी विचारधारा का पूरा प्रभाव है. तालिबान को खड़ा करने के पीछे सऊदी अरब से आ रही आर्थिक मदद को जिम्मेदार माना गया था.
बहरहाल , अब पुरे अफगानिस्तान पर तालिबान लड़ाकों का कब्ज़ा हो चूका है तालिबान ने राष्ट्रपति पैलेस पर भी कब्ज़ा कर लिया है। ये सब पूरी दुनियां के सामने हुआ और दुनियां मूकदर्शक बन देखती रही। अब आगे जो अफगानिस्तान में जुर्म की दास्ताँ लिखी जाएगी वो किसी से छुपी नहीं है।
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