
Water Pollution Control Act 1974 In Hindi
लोगों के नहरों- नदियों में नहाने पर रोक लगाए सरकार | Water Pollution Control Act 1974 In Hindi
नई दिल्ली : घरों में सप्लाई होने वाला पानी बेहद ही जहरीला होने लगा है। इस पानी में मिट्टी के इलावा भी मल-मूत्र यहां तक उसमे मरे जानवरों की बदबू भी शामिल होती है | ग्रामीण इलाकों में इस पानी को बिना किसी फ़िल्टर के खाने- पीने के लिए प्रयोग किया जाता है . जोकि बिमारियों को सीधा-सीधा न्योता देना है . इसको जहरीला बनाने में में पशुओं का नहरों में डूबते हुए मरना, या नहरों में नहाते समय मलमूत्र पानी में ही मिक्स हो जाता है जो घरों में पानी सप्लाई हो जाता है | इस पानी से बीमारियां होना लाजमी है |
इस लिए हमे नहरों में पानी को सुरक्षित रखने के लिए नहरों में पशुओं को गिरने से रोकना होगा साथ ही साथ नहरों में नहाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना होगा . हालाँकि जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1974 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस अधिनियम के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को नहरों में नहाने, कपड़े धोने या अन्य कोई ऐसा कार्य करने से रोका जा सकता है जो जल प्रदूषण का कारण बनता है।
इसके इलावा भी हम घरों में कम से कम पीने के लिए वाटर फिलटर तो लगवाने ही होंगे, क्यूंकि पानी में अनवस्य कण होते हैं जो हमारे शरीर के लिए बेहद खतरनाक होते हैं उन्हें साफ़ करने के लिए वाटर फिलटर एक अच्छा उपकरण होता है | Water Pollution Control Act 1974 In Hindi

जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1974 क्या है
जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1974 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस अधिनियम के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को नहरों में नहाने, कपड़े धोने या अन्य कोई ऐसा कार्य करने से रोका जा सकता है जो जल प्रदूषण का कारण बनता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, हर व्यक्ति को स्वच्छ जल का अधिकार है। इस अनुच्छेद के अनुसार, सरकार को नहरों को प्रदूषित होने से रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।
हालांकि, इन कानूनों का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन नहीं किया जाता है। कई मामलों में, लोग नहरों में नहाते हैं, जिससे पानी प्रदूषित होता है।
नहरों में नहाने से रोकने के लिए सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- नहरों के किनारे चेतावनी बोर्ड लगाए जाने चाहिए जो लोगों को नहरों में नहाने से मना करें।
- नहरों में नहाने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
- नहरों को प्रदूषण से बचाने के लिए बेहतर प्रबंधन किया जाना चाहिए।
सजा व जुर्माना
भारत में नहरों में नहाने से रोकने के लिए जुर्माने का प्रावधान है। जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1974 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस अधिनियम के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को नहरों में नहाने, कपड़े धोने या अन्य कोई ऐसा कार्य करने से रोका जा सकता है जो जल प्रदूषण का कारण बनता है। अधिनियम के अनुसार, जल प्रदूषण के लिए दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 500 रुपये से 10,000 रुपये तक का जुर्माना या 6 महीने की जेल या दोनों हो सकती है।
हालांकि, यह जुर्माना बहुत कम है और इसलिए, लोगों को नहरों में नहाने से रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है। सरकार को नहरों में नहाने से रोकने के लिए अधिक प्रभावी कानूनों और नियमों को लागू करना चाहिए।