Indian Penal Code IPC Section 380-381-382-383 in Hindi | चोरी करने पर कौन सी धारा लगती है धारा 380,381,382,383
देश में जैसे जैसे बेरोजगारी, महंगाई बढ़ती जा रही है (Indian Penal Code IPC Section 380-381-382-383 in Hindi) वैसे वैसे देश में लूटपाट , चोरी की घटनाये भी दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैं। अब लूटपाट करना या चोरी करना कोई देशहित का काम तो है नहीं , इस लिए ऐसे गैरकानूनी कार्यों को रोकने के लिए भारतीय दंड सहिंता में उनकी सजा के बारे में बताया गया है। चोरी करने पर कौन सी धारा लगती है ,कितनी सजा होती है आज हम इसके बारे में विस्तार से बड़ी आसान भाषा में जानेंगे।
आईपीसी की धारा 380 : IPC Section 380
जब कोई व्यकित घरों में या किसी भी भवन, तंबू में चोरी करता है, जिस भवन, तम्बू या पोत का उपयोग मानव आवास के रूप में किया जाता है, या संपत्ति की अभिरक्षा के लिए उपयोग किया जाता है में चोरी करता है तो उस पर दंड सहिंता की धारा 380 के तहत मामला दर्ज़ किया जाता है। धारा 380 में दोषी व्यकित को सात साल के कारावास , जुर्माने सहित सजा हो सकती है। ये संज्ञेय व गैर जमानती अपराध है। यह किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
आईपीसी की धारा 381 : IPC Section 381
जब कोई ऐसा व्यकित जो किसी कम्पनी में या बैंक में या किसी भी सरकारी गैर सरकारी विभाग में , कम्पनी में कार्यकर्त हो अगर वो वहां किसी प्रकार की चोरी या अपने मालिक की किसी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुँचता है या कब्ज़ा करता है तो उसे आईपीसी की 381 के तहत मामला दर्ज़ होता है इसमें दोषी पाए व्यकित को एक अवधि के लिए किसी भी विवरण का जो सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा। ये संज्ञेय व गैर जमानती अपराध है। यह किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
आईपीसी की धारा 382 –
जब कोई व्यक्ति चोरी करने या लूटपाट करने के इरादे से पूरी तैयारी के साथ जाता है यानि वह अपने साथ कोई भी जानलेवा हथियार , चोट पहुंचने वाला समान लेकर जाता है भले ही व चोरी के दौरान किसी सामने वाले जिसके घर या कार्यालय पर चोरी की उस पर प्रयोग नहीं करे लेकिन तब भी उस पर धारा 382 के तहत मामला दर्ज़ किया जायेगा। Indian Penal Code
इसमें दोषी पाए व्यकित को कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकती है, और जुर्माने के लिए उत्तरदाई होगा। ये संज्ञेय व गैर जमानती अपराध है। ये फर्स्ट डिवीजन मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
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आईपीसी की धारा 383 : IPC Section 383
जब कोई व्यकित किसी सामने वाले को ब्लैकमेलिंग करता है यानि किसी प्रकार से उसको जान से मरने की धमकी देता है , या उसके पारिवारिक सदस्यों को जान से मरने की धमकी देता है लेकिन उसका इरादा पैसे लेना है यानि जो कुछ भी वो कर रहा है उसके पीछे का मकसद अगर पैसा लेना है तो उस मामले में धारा 383 के तहत केस दर्ज़ होता है।
अगर धमकी की वजह पैसा न होकर कोई और हो तब ये धारा नहीं लगती है फिर कोई और धारा उस केस के अनुसार लगती है यहां धारा 383 में धमकी की वजह पैसा मांगना या कोई मूलयवान सम्पति की मांग करना जैसे गाड़ी , गहने आदि की मांग करना भी इसी धारा के तहत आता है।
इस धारा के तहत अपराध संज्ञेय, जमानती और गैर-शमनीय है, और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। इसमें आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
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