July 7, 2024
divorce laws and legal provisions in india

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भारत में तलाक का कानून क्या है ? और क़ानूनी धाराएं कौन सी हैं

क्या है तलाक ? तलाक का मतलब है कि एक विवाहित जोड़े का संबंध समाप्त हो जाता है। यह विवाहित जोड़ा विभिन्न कारणों के कारण या संबंधों में आत्म-संतुष्टि न होने के कारण तलाक की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकता है। तलाक की प्रक्रिया में न्यायिक प्रक्रिया, वित्तीय प्रक्रिया, और बच्चों की हिफाजत का मसविदा शामिल हो सकता है। भारत में तलाक की प्रक्रिया विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग हो सकती है और इसमें कई कानूनी प्रावधान शामिल हो सकते हैं।

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तलाक की प्रक्रिया आमतौर पर विवाहित जोड़े के बीच कुछ मामूली विवादों या गंभीर समस्याओं के परिणामस्वरूप शुरू होती है। यह प्रक्रिया कई चरणों में विभाजित हो सकती है, जैसे कि तलाक का दावा, विचारण, और तलाक की प्राप्ति। न्यायिक प्रक्रिया में न्यायिक निर्णय या अदालती फैसले के बाद, तलाक का अंतिम रूप लिया जाता है। वित्तीय प्रक्रिया में, विवाहित जोड़े की संपत्ति और वित्तीय संबंधों का वितरण समाप्त होता है। अंत में, बच्चों की हिफाजत के मामले में, बच्चों के लिए देखभाल, निर्णय या अदालती फैसले के बाद किया जाता है।

हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955: इस अधिनियम के अंतर्गत, तलाक की प्रक्रिया और शर्तों को नियंत्रित किया जाता है। तलाक की प्रक्रिया में तीन प्रकार की होती है – तीन तलाक, तलाक-ए-बिदअत और तलाक-ए-हसन।

मुस्लिम शरीयत अधिनियम, 1937: मुस्लिम व्यक्तियों के लिए यह अधिनियम तलाक की प्रक्रिया को व्यवस्थित करता है। यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के लिए धार्मिक और कानूनी तलाक की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।

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पारित विवाह अधिनियम, 1954: इस अधिनियम के तहत, तलाक की प्रक्रिया और शर्तों को व्यवस्थित किया जाता है।यह अधिनियम विवाहित जोड़ों के बीच अलगाव और तलाक की प्रक्रिया को संशोधित करता है।
तलाक के प्रकार: तलाक के मुख्य प्रकार होते हैं – तीन तलाक, तलाक-ए-बिदअत और तलाक-ए-हसन। तीन तलाक में तीन बार तलाक का बयान देना होता है, तलाक-ए-बिदअत में तलाक परिणामस्वरूप इमाम की मौजूदगी में दी जाती है, और तलाक-ए-हसन में तलाक का बयान देने के बाद एक इंतेजारी अवधि होती है।
तलाक की प्रक्रिया: तलाक की प्रक्रिया में विभिन्न चरण होते हैं जैसे कि तलाक का अध्यादेश, तलाक दावा, और तलाक की प्राप्ति। इसके बाद तलाक प्रक्रिया के अनुसार अदालती मामला चलता है।

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तलाक की संभावित वजहें: तलाक के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि विवाहीत जीवन में संघर्ष, विश्वासघात, संवाद की कमी, और अन्य संबंधित मामले।
तलाक के नियम और शर्तें: तलाक के लिए नियम और शर्तें समय-समय पर बदलती रहती हैं, लेकिन इसमें समान तत्व होते हैं जैसे कि अदालती प्रक्रिया, तलाक दर्जा का प्राप्ति, और तलाक दर्जा की प्राप्ति के लिए आवश्यक दस्तावेज़।
अलगाव के बाद अदालती मामला: अलगाव के बाद, संबंधित पक्षों के बीच संवाद या निपटान के लिए अदालत में मामला चलता है। यह अलगाव के कानूनी और नैतिक प्रक्रिया होती है।
संबंधों की संभावित संशोधन: तलाक के बाद संबंधों की संभावित पुनर्मिलन की प्रक्रिया में दोनों पक्षों के बीच चरण होते हैं जिसमें संबंधित पक्ष और परिवार के सदस्यों के बीच वार्ता और समझौते का प्रयास किया जाता है।


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