लोकसभा चुनावों से पहले देश में लागु हुआ नागरिकता संशोधन कानून
लोकसभा चुनावों से पहले देश में लागु हुआ नागरिकता संशोधन कानून
नई दिल्ली : आगामी 2024 लोकसभा चुनावों के एलान से पहले ही केंद्र सरकार ने Citizenship Amendment Act को मंजूरी दे दी है . यानि आज नागरिकता संसोधन कानून देश में लागु हो गया . मोदी सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है . इस कानून के तहत अब देश के तीन पड़ोसी देश के विस्थापित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलेगी. हालांकि भारत की नागरिकता के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा तैयार ऑनलाइन पोर्टल में आवेदन करने होंगे |
बता दें कि संसद से CAA (Citizenship Amendment Act) पारित हुए करीब 5 साल हो चुके है. लेकिन अब केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला और कदम लेते हुए देश में CAA लागू कर दिया है. अब देश में CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून आज से ही लागू हो जाएगा. इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम समुदाय ने काफी प्रदर्शन किये थे इसलिए साल 2019 के चुनावों से पहले इसे रोका गया था |
लेकिन पिछले दिनों ग्रह मंत्री अमितशाह ने कहा कि नागरिकता संसोधन बिल जल्द लागु होगा . उन्होंने मुस्लिम समाज के लोगों को ये भी कहा था इसमें मुस्लिम समाज के लोगों की नागरिकता खत्म होने जैसा कुछ भी नहीं है ग्रह मंत्री ने कहा था कि दरअसल सीएए को लेकर विपक्ष ने ऐसे ही आम जनता दिलों में गलत धारणा पैदा कर दी है |
- यहां विस्तार से पढ़े – क्या है नागरिकता संशोधन कानून CAA 2019
Citizenship Amendment Act Rolled Out Ahead of General Elections
क्या है नागरिकता संसोधन बिल – What is Citizenship Act CAA
नागरिकता संसोधन बिल में कानून के तहत साल 2014 के 31 दिसंबर से पहले भारत आने वाले तीन देश (पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान) के 6 अल्पसंख्यकों (ईसाई, हिंदू, जैन, सिख, पारसी और बौद्ध) को भारत देश की नागरिकता देने का प्रवधान किया गया था कानून के नियमों के अनुसार, इन तीन देशों से भारत आने वाले सभी अल्पसंख्यकों को देश में नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में होगा . इस कानून में इन तीन देशों से आने वाले मुल्सिम नागरिकों के लिए भारत की नागरिकता का प्रावधान नहीं किया गया है इसलिए मुस्लिम समुदाय इसका विरोध कर रहा है |
हालाँकि पहले से “नागरिकता संशोधन कानून” (Citizenship Amendment Act) नामक कानून था, लेकिन उसकी धाराएँ, प्रावधान और व्यवस्था को बदल कर, उसमें संशोधन किया गया। पिछले “सीएए” में, जिसे 1955 में लागू किया गया था, नागरिकता को धर्म, जाति, या किसी अन्य आधार पर प्रदान नहीं किया गया था। लेकिन 2019 के संशोधित “सीएए” में, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से भाग गए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई समुदायों को भारतीय नागरिक होने का रास्ता प्रदान किया गया, यदि उन्होंने 2015 से पहले वहाँ से शरण ली थी। इस तरह से, संशोधित “सीएए” ने पहले के नागरिकता कानून में नए प्रावधान और परिवर्तन लाए हैं।
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