क्या है नागरिकता संशोधन कानून CAA 2019 | Kya hai Citizenship Amendment Act CAA 2019
क्या है नागरिकता संशोधन कानून CAA 2019 | Kya hai Citizenship Amendment Act CAA 2019
Kya hai Citizenship Amendment Act CAA 2019 : नागरिकता संशोधन कानून 2019 यानि सीएए क्या है आज हम इसके बारे में चर्चा करेंगे . ये भी जानेंगे कि इस कानून को लाने के पीछे का मकसद क्या था , और देशभर में इसका विरोध क्यों हुआ ? आपको बता दें कि ये मामला अभी भी सर्वोच्च न्यालय में विचाराधीन है .
क्या है नागरिकता संशोधन कानून 2019-Kya hai Citizenship Amendment Act CAA
नागरिकता संशोधन एक्ट CAA जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि ये कोई भारतीय नागरिकों के नियमों में बदलाव को लेकर एक्ट बनाया गया है . दरअसल ये नागरिकता कानून 1955 में संशोधित करके न्य एक्ट बनाया गया है . बता दें कि असम में एनआरसी (NRC) यानी नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस पर काम हुआ। लेकिन एनआरसी को लेकर यह विवाद हुआ कि बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को भी नागरिकता की लिस्ट से बाहर रखा गया है जो देश के असल निवासी हैं। ऐसे लोगों के समाधान के लिए सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून, 2019 बनाया है जिसको लेकर देश भर में विरोध हुआ | Kya hai Citizenship Amendment Act CAA 2019
सीएए यानि नागरिकता संशोधन अधिनियम एक विवादास्पद कानून है जिसे दिसंबर 2019 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। कानून नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करता है, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए नागरिकता का मार्ग प्रदान करता है। 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश किया। मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण होने के लिए कुछ लोगों द्वारा कानून की आलोचना की गई है, और इसने पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन किया है।
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इस कानून में पाकिस्तान, बंगलादेश व अफगानिस्तान से आये प्रवासी लोग जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों से सबंधित हों उनके लिए नागरिकता को आसान बनाया गया है . क्यूंकि पहले उनके लिए भारत में नागरिकता के लिए कम से कम 11 साल रहना जरूरी था लेकिन अब सरकार ने नए कानून में बदलाव करके इस मात्र 6 साल कर दिया है . यानि अब कोई भी उपरोक्त देशों से आये नागरिक जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों से सबंधित होंगे उन्हें 6 साल बाद भारत की नागरिकता मिल जाएगी |
अवैध प्रवासी लोगो के लिए कानून :
भारत में नागरिकता कानून 1995 है जिसके अनुसार देश में अवैध प्रवासी लोगो को नागरिकता नहीं मिल सकती है ऐसे लोग जो किसी पडोशी देश से बिना किसी वेध दस्तावेज के भारत में घुसे हों , उन्हें घुसपैठिये कहा जाता है वो चाहे कितने भी सालों से भारत में रह रहे हों उन्हें नागरिकता नहीं मिल सकती . कानून के अनुसार या तो उन्हें उनके देश वापस भेजा जा सकता है या उन्हें भारत की जेल में रखा जा सकता है . लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी लिए भी इस कानून में संसोधन करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन को छूट दे दी है। Kya hai Citizenship Amendment Act CAA 2019
इसका मतलब यह हुआ कि इन धर्मों से संबंध रखने वाले लोग अगर भारत में वैध दस्तावेजों के बगैर भी रहते हैं तो उनको न तो जेल में डाला जा सकता है और न उनको निर्वासित किया जा सकता है। यह छूट उपरोक्त धार्मिक समूह के उनलोगों को प्राप्त है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत पहुंचे हैं। इन्हीं धार्मिक समूहों से संबंध रखने वाले लोगों को भारत की नागरिकता का पात्र बनाने के लिए नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 संसद में पेश किया गया था।
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