Child Marriage Act 2006 In Hindi | बाल विवाह अधिनियम 2006 क्या है
Child Marriage Act 2006 In Hindi – बाल विवाह एक सामाजिक समस्या है जिसे भारत के कुछ हिस्सों में अभी भी देखा जाता है, और इस अधिनियम को सक्रिय रूप से लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान बच्चों की शादियों को रोकने और उनके अधिकार की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं।
बाल विवाह अधिनियम, 2006 (Child Marriage Act, 2006) भारत में बच्चों की शादी (कन्याओं का विवाह) को रोकने और उनके अधिकार की रक्षा करने के लिए एक कानूनी अधिनियम है। इस अधिनियम के तहत, बच्चों की शादी को कानूनी तौर पर मंजूरी नहीं दी जाती है। इसका उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा और उनके समर्थन का प्रचार करना है। इस अधिनियम ने पहले की तरह 18 वर्ष से पहले कन्याओं की शादी को रोका है। Child Marriage Act 2006 In Hindi
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कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस अधिनियम के बारे में हैं: Child Marriage Act 2006 In Hindi
- विवाह की उम्र: भारत में कन्याओं की शादी के लिए कानूनी उम्र 18 वर्ष है और लड़कों की शादी के लिए 21 वर्ष है।
- बाल विवाह निरोध अधिनियम, 2006: यह अधिनियम बाल विवाह को रोकता है और बाल विवाह करने वालों पर दंडित करता है।
- व्यर्थ और व्यभिचारपूर्ण: बाल विवाह को व्यर्थ और व्यभिचारपूर्ण माना जाता है, जिसका मतलब है कि ऐसी शादियों को कानूनी मान्यता नहीं दी जाती है, और उसमें शामिल व्यक्ति विवाह का रद्दी कर सकते हैं।
- स्वीकृति: इस अधिनियम में एक महत्वपूर्ण तत्व है कि यह बच्चों की शादी के लिए स्वतंत्र और जानकारी से प्राप्त स्वीकृति की महत्वता पर जोर देता है। किसी भी बच्चे द्वारा सही तरीके से स्वीकृति नहीं दी जा सकती है।
- सुरक्षा और समर्थन: यह अधिनियम बच्चों को बाल विवाह के नुकसान से बचाने और उन्हें सहायता और पुनर्स्थापना उपायों से सुझाव देते हैं।
- कस्टडी: बाल विवाह के समय कस्टडी पर भी ध्यान दिया जाता है, ताकि अगर लड़की कम उम्र में मां बन जाए तो उसकी देखभाल की जिम्मेदारी किसी बच्चे के परिवार पर आ जाए।
अगर आप बाल विवाह या किसी भी प्रकार के इस अधिनियम का उल्लंघन या किसी बच्चे के अधिकारों की हानि के बारे में पता चलता है, तो इसे प्रशासनिक अधिकारियों, जैसे पुलिस या बच्चों की सुरक्षा संस्थानों को रिपोर्ट करना महत्वपूर्ण है ताकि सही कार्यवाही की जा सके और उस बच्चे के अधिकारों और समृद्धि की सुरक्षा की जा सके।
Prohibition of Child Marriage Act, 2006
भारत में बच्चों की शादी (बाल विवाह) को रोकने और उनके अधिकार की रक्षा करने के लिए 2006 का बाल विवाह निरोध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act, 2006)” का एक मात्र धारा होता है।
इस अधिनियम में केवल एक ही धारा है, जो बाल विवाह की रोकथाम और उसे करने वाले पर दंडित करने का प्रावधान करती है। इस अधिनियम के तहत, बाल विवाह को व्यर्थ और व्यभिचारपूर्ण माना जाता है और उसके निर्णय को प्रोत्साहनित नहीं किया जाता। इस अधिनियम के उल्लंघन पर दंडित करार सुनाया जाता है, जो की जेल की सजा और/तथा/या जुर्माना (फाइन) हो सकता है।
बाल विवाह के उल्लंघन पर लगने वाली सजा विभिन्न स्थितियों पर निर्भर करती है, जैसे की उल्लंघन की उम्र, व्यक्ति का जुर्म का प्रकार, और राज्य के कानूनी विधानानुसार। उल्लंघन की कठोर सजा व्यवस्थैक अधिकारी का निर्णय होता है।
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सजा की दर के लिए उपरोक्त विवरण के अलावा अलग-अलग राज्यों और जुरिसडिक्शन के अनुसार भी भिन्न-भिन्न प्रावधान हो सकते हैं। इसलिए, सजा की दर तय करने के लिए स्थानीय कानूनी विधियों को देखा जाना चाहिए।
बाल विवाह रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर निम्नलिखित हैं:
- चाइल्ड हेल्पलाइन: 1098
- महिला हेल्पलाइन: 1800-102-7282
- राष्ट्रीय महिला आयोग: 1091
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग: 1098
आप इन नंबरों पर कॉल करके बाल विवाह के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और सहायता प्राप्त कर सकते हैं. आप बाल विवाह के बारे में रिपोर्ट भी कर सकते हैं.
बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है. यह एक मानवाधिकार का उल्लंघन है और यह एक लड़की के जीवन को नष्ट कर सकता है. बाल विवाह को रोकने के लिए सभी को एक साथ काम करना होगा |
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