Punishment for public nuisance in cases IPC Section 290,291,292,293,294 जनता को परेशान करने पर भारतीय कानून दंड सहिंता धारा 290 , 291 , 292 , 293 , 294
सर्वजनिक स्थानों पर आम जनता के लिए कोई बाधा उत्प्न करना इंडियन कानून के तहत जुर्म की श्रेणी में आता है। इसमें अश्लील समग्री पेश करना , रस्ते में कोई रुकावट पैदा करना , अश्लील गाने या वीडियो प्रदर्शन करना या किसी सर्वजनक स्थल पर गालियां देना या कोई कामुक वस्तु दिखाना या उसे प्रदर्शित करना जैसे कार्य इंडियन पीनल कोड यानि भारतीय दंड सहिंता के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं। आइए जानते हैं इनकी धारा के बारे में जिसमे सजा व जुर्माने सहित बताया गया है।
भारतीय दंड सहिंता की धारा 290 : Punishment for public nuisance in cases IPC
भारतीय दंड सहिंता की धारा 290 के तहत जो कोई भी ऐसा जुर्म करेगा जिसका दंड सहिंता में कोई प्रावधान नहीं किया गया है उसे धारा 290 के तहत 200 रूपये के जुर्माने से दंडित किया जायेगा। इस धारा में ऐसे कार्य जैसे रस्ते में वाधा उत्प्न करना , यानि जैसे बज़ारों में या गलियों में कोई रेहड़ी वगेरा लगा लेते हैं या कोई अपनी दुकान के आगे समान रख लेता जिसे रस्ते में रुकावट आती हो उसे इस धारा के तहत 200 रूपये से दंडित किया जाता है। इस धारा के तहत किसी भी तरह की पब्लिक रुकावट पैदा करने के लिए जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।
भारतीय दंड सहिंता की धारा 291 :
धारा 291 के अनुसार जो कोई अदालत के आदेश बावजूद भी उपरोक्त कार्य चालू रखता है तो इस धारा के तहत उसे सजा का प्रावधान किया गया है इसमें दो हज़ार रूपये के आर्थिक जुर्माने या पांच साल तक की सजा या दोनों एक साथ हो सकते हैं। यानि जैसे कोई पब्लिक रुकावट पैदा करता है जैसे कोई रस्ते में किसी दुकान , मकान या पार्क किसी तरह का निर्माण करता है या कोई जैसे अपनी दुकान के आगे समान रखते हुए रुकावट पैदा करता है
उसे इसके लिए अदालत रोक चुकी है फिर भी वो दुवारा या बार बार करता है तो उसे पांच साल तक की सजा व दो हज़ार रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
भारतीय दंड सहिंता की धारा 292 :
धारा 292 के तहत जो कोई अश्लील पुस्तके बेचता है , या उनका प्रदर्शन करता है या किसी तरह से उनकी स्टोरेज करता है इस धारा के तहत ऐसे साहित्य , रेखा चित्र रंग कुछ भी ऐसी समग्री जो अश्लीलता प्रदर्शित करती हो जुर्म के तहत आती है। वहीं अगर कोई ऐसी पुस्तक , या समग्री या कोई प्रचीन मूर्ति है जो चाहे अश्लील ही क्यों न दिखती हो वो इस धारा के तहत अपराध नहीं होगा क्यूंकि वो इतिहास से सबंधित है या कोई विज्ञान की जानकारी के लिए या कोई मेडिकल सहायता के लिए हो वह भी इस धारा के तहत नहीं आएगी।
दोषसिद्धि होने पर दोषी को दो साल की सजा व दो हज़ार रूपये तक के जुर्माने अथवा दोनों हो सकते हैं वहीं अगर इसी मामले में दुवारा दोषी पाए जाने या बार बार दोषी पाए जाने पर पांच हज़ार का जुर्माना या पांच साल के कारावास की या दोनों हो सकते हैं।
भारतीय दंड सहिंता की धारा 293 :
धारा 293 के तहत जो कोई बीस वर्ष से कम का लड़का , लड़की अश्लील पुस्तके बेचता है या कोई उसे देता है या उसके सामने कोई अश्लील अंग प्रदर्शन करता है या कोई वीडियो दिखता है उसे इस धारा के तहत दोषी माना जायेगा। इसके तहत तीन साल की सजा या दो हज़ार रूपये जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं अगर उसे इसी मामले में दुवारा दोषी पाया जाता है तो पांच हज़ार रूपये तक के जुर्माने सहित सात साल की सजा का प्रावधान है।
भारतीय दंड सहिंता की धारा 294 :
धारा 294 के तहत सर्वजनिक स्थानों पर अश्लीलता फैलाना यानि कोई वीडियो फोटो दिखाना , या कोई अंग दिखाना या कोई वीडियो सोशल मीडिया पर डालना जिसे समाज में अश्लीलता फैलती हो इसके तहत दोषी माना जायेगा। अश्लील कार्य करना , अश्लील गाली देना जब ये सर्वजनिक तोर पर किया जाता है तो ये आईपीसी की धारा 294 के तहत जुर्म होगा।
लेकिन अगर किसी को इतराज़ नहीं हो तो वह इस धारा के तहत नहीं आता है जैसे की डांस बार में लड़कियां डांस करती हैं या कोई शरीरक प्रदर्शन करती है तो वह इस धारा के तहत नहीं आता है।धार्मिक परियोजन जिसमे पुरातन मूर्तियां चाहे वो दिखने में अश्लील लगे इस धारा के तहत दोषी नहीं होंगे। दोषी पाए जाने पर तीन महीने की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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