चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज पंजाब सरकार के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा की पंजाब की शिक्षा में सुधार करना आम आदमी पार्टी की सरकार का मुख्य काम है। (Big decision of Punjab government for private schools )भगवंत मान ने कहा कि हम आम तौर पर ही कहते है कि शिक्षा इंसान का तीसरा नेत्र है लेकिन पिछले कुछ सालों से ये शिक्षा गरीबों से दूर ही हो रही है। क्यूंकि गरीब माता -पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाना तो चाहते हैं लेकिन स्कूलों की फीस देखकर वो अपना फैसला बदल लेते है लिहाजा उन्हें अपने बच्चे मजदूरी में लगाने पड़ते हैं।
सीएम भगवंत मान ने अपने फैंसले में कहा कि अब पंजाब सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल संचालक अगले आदेश तक समेस्टर की फीस नहीं बढ़ाएंगे। मान ने कहा कि फीस की रणनीति अगले कुछ दिनों में बना दी जाएगी। भगवंत मान ने कहा कि हम स्कूल के संचालकों व मालकों से , बच्चों के माता पिता से भी इस सबंधी बातचीत करेंगे।
मान ने कहा कि अब प्राइवेट स्कूल एक भी रुपये फीस नहीं बढ़ाएं अगर कोई नियमों की उलंघना करता है तो उसके खिलाफ सख्त कारवाई की जाएगी।
मान ने कहा कि कोई भी स्कूल बच्चों की किताबों के लिए या कोई वर्दी के लिए विशेष दुकान नहीं बताएगा। ये बच्चों के माता पिता खुद फैसला करेंगे कि उन्हें कहाँ से किताब या वर्दी लेनी है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने जताया मान सरकार के फैसले पर इतराज़ – Big decision of Punjab government for private schools
वहीं प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के फैसले पर इतराज़ जताया है। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की तरफ से अधिवक्ता दिलप्रीत गाँधी ने कहा कि मान सरकार के फैसले का हम स्वागत करते हैं लेकिन इसमें कुछ खामियां हैं क्यूंकि सुर्प्रीम कोर्ट का फैसला व पंजाब सरकार का भी एक रूल है जिसके तहत कोई भी स्कूल हर साल 8 % तक फीस बढ़ा सकता है।
गाँधी ने कहा कि स्कूलों के खर्चे हर साल बढ़ जाते हैं महंगाई बढ़ने पर स्कूलों को 8 % तक फीस बढ़ाने का अधिकार है। उन्होंने कहा इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
वहीं वर्दी व किताबों की दुकानों के बारे में गाँधी ने कहा कि ज्यादातर स्कूल तो ऐसा नहीं करते हैं लेकिन अगर कुछ स्कूल करते हैं तो वो सिर्फ इस लिए करते हैं ताकि वर्दी का कलर, पैटर्न एक जैसा रहे।
क्यूंकि पंजाब के स्कूलों की अलग अलग यूनिफार्म होती हैं अलग अलग दुकानों पर एक जैसी वर्दी मिलाना मुश्किल होता है इस लिए स्कूल माता पिता व बच्चों की समस्या दूर करने के लिए ये बोल देते हैं उस दुकान पर मिल जायेगा। जो कि आसानी से मिल भी जाती है।
गाँधी ने कहा ,ऐसा किताबों के लिए होता वो अलग अलग पाठ्यक्रम की मिलती है उनका स्लैब्स बाकि बच्चों की किताबो से अलग होता है इस लिए स्कूल संचालक किसी स्पेसल दुकान का एड्रेस दे देते हैं। गाँधी ने कहा कि मान को स्कूलों की किताबों व वर्दियों की फीसों पर कोई रूल बनाना चाहिए ताकि कोई ज्यादा फीस न वसूले।