हेलमेट ही काफी नहीं ,दो पहिया वाहन चलाते समय ये 6 बातें भी ध्यान रखें
दो पहिया वाहनों को लेकर सुरक्षा जब भी मसला आता है तो हम हेलमेट लगाकर मान लेते हैं कि हमने सुरक्षा के प्रबंध कर लिए हैं लेकिन यह अकेला काफी नहीं है दो पहिया वाहन चलाते समय कुछ और बातों पर ध्यान दें –
- सड़क पर कभी भी रेस ट्रैक नहीं हो सकती |इसलिए कभी भी रेस के मूड में नहीं रहें |सुरक्षित गति आपको अपने वाहन के प्रकार ,उसकी सेहत और ब्रेक्स कि स्थिति के अनुसार खुद तय करनी होगी याद रखें कि आप अपनी गति को डेढ़ गुना करके भी गंतव्य स्थल तक पहुंचने में बहुत ज्यादा समय कि बचत नहीं कर पाएंगे | इसलिए जान बचाने पर फॉक्स करें समय बचाने पर नहीं |
- अपने दो पहिया वाहन को अच्छी तरह से मेंटेन रखिए |हर छह माह में या वाहन कंपनी द्वारा निर्धारित किमी तक चलने पर वाहन कि आवश्यक रूप से सर्विस जरूर करवाएं |सर्विस के आलावा खासकर टायर्स और ब्रेक्स पर नजर रखें |जरूरत पड़ने पर इन पर खर्च करने में पीछे मत रहिए ,क्योंकि कई सड़क हादसे केवल खराब टायरों या खराब ब्रेक्स की वजह से होते हैं |
- देखने में आता है अनेक दी पहिया वह्नि में रियर मिरर ही नहीं होते | दो पहिया चालक की सुरक्षा के लिए रियर मिरर सबसे जरुरी है |वाहन को मोड़ते समय इसका इस्तेमाल अवश्य करें |साथ ही समय से पहले ही इंडिकेटर देना न भूलें |कई लोग बिलकुल मुड़ते समय ही इंडिकेटर देते हैं और तुरंत मूड जाते हैं |यह आदत गलत है |
- कई हादसे अपनी नहीं सामने वाले की गलती से होते हैं |इसलिए रोड पर दो पहिया वाहन चलाते समय हमेशा ये मानकर चलें कोई सामने से या बाजु से आकर टककर मर सकता है |इसलिए रोड पर गाड़ी चलाते समय इतनी गुंजाइश रखें अगर अचानक से कोई दूसरा वाहन चालक आपसे टकराने वाला है तो आप उससे बच सकें |
- अपने दो पहिया वाहन के पिछले हिस्से में और अपने हेलमेट के भी पिछले हिस्से में रिफ्लेक्टिव स्टिकर जरूर लगाकर रखें | इससे रात के अंधरे में दो पहिया वाहन चलने पर दूसरों को आपकी मौजूदगी का अंदाजा हो सकेगा |
वाहन चलाते समय न तो ब्लूटूथ का इस्तेमाल करें और न ही वायर्ड हेडफोन का |इनका इस्तेमाल करने से आपका ध्यान भंग होने आंशका काफी अधिक बढ़ जाती है और हादसे का शिकार ही सकते हैं |इसलिए आदत बनाएं जब भी फोन आए ,आप वाहन को साइड में रोककर ही बात करेंगे |
डिक्की में लिखकर रखें अपना एमरजेंसी नंबर – हादसा होने पर कोई भी फोन को अनलॉक करके एमरजेंसी नंबर पर कॉल नहीं कर सकता | इसलिए हमेशा अपने साथ अपना ऐसा डाक्यूमेंट रखें |जिसमें आपका ब्लड ग्रुप और एमरजेंसी नंबर लिख हो | बेहतर होगा आप वाहन पर ही या कम से कम डिक्की के भीतर किसी स्टिकर से यह जानकारी चिपकाकर रखें |हादसा होने पर डिक्की को तो कोई भी खोल सकता है |
अगर किसी दो पहिया वाहन चालक के साथ हादसा हुआ है और आप घटना स्थल पर हैं तो हादसे वाले वाहन की डिक्की खोलकर अवश्य देख लें ,ताकि ऐसी जानकारी अगर उस में लिखी हो तो आपको मिल सके |इसे आदत बना लें | इस छोटे से काम से किसी की जान बच सकती है |