अस्पताल की सफेद दीवारों पर आज भी गूंजती है उस डॉक्टर की मूक पुकार | Kolkata doctor rape-murder case Live

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अस्पताल की सफेद दीवारों पर आज भी गूंजती है उस डॉक्टर की मूक पुकार

नई दिल्ली :Kolkata doctor rape-murder case Live – कोलकाता में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर (Postgraduate trainee doctor) के बलात्कार और हत्या के बाद उठे जनाक्रोश के बीच, पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने 42 डॉक्टरों के तबादला आदेश रद्द कर दिए हैं। इसके साथ ही, कोलकाता पुलिस ने रविवार (18 अगस्त 2024) से R.G. Kar मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के आसपास धारा 163 (BNS 163) के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है, जो सात दिनों तक प्रभावी रहेगी, ताकि किसी भी अवैध जमावड़े को रोका जा सके।

इसी बीच, R.G. Kar मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्राचार्य, डॉ. संदीप घोष से शनिवार को सीबीआई ने लगातार दूसरे दिन कई घंटों तक पूछताछ की। इस ताजा पूछताछ में उनसे उस रात के बारे में सवाल किए गए, जब स्नातकोत्तर प्रशिक्षु (Postgraduate trainee doctor) ने उन्हें इस घटना की सूचना दी थी। सीबीआई (Central Bureau of Investigation) अधिकारियों ने बताया कि उनसे यह जानने की कोशिश की गई कि घटना की सूचना मिलने पर उनकी प्रारंभिक प्रतिक्रिया क्या थी और उस रात वे कहाँ थे।

इस बीच, केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की अलग-अलग टीमें अपराध स्थल और साल्ट लेक में कोलकाता पुलिस की सशस्त्र बलों की चौथी बटालियन की बैरक पहुंची, जहां गिरफ्तार मुख्य आरोपी, नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय रह रहा था। R.G. Kar अस्पताल में, जांचकर्ताओं ने विभिन्न नमूनों को इकट्ठा किया और उन्हें केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (Central Forensic Science Laboratory) में परीक्षण के लिए भेजा।

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ये हादसा सिर्फ एक हृदयविदारक घटना नहीं, बल्कि एक समाज के आत्मा को झकझोर देने वाला सबक है। एक युवा डॉक्टर, जो जीवन बचाने के लिए अपनी जान लगा देती थी, उसे उसी अस्पताल में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, जहाँ वह सेवा कर रही थी। इस घटना ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है, और इसके खिलाफ हर दिल में गुस्सा और दुःख की लहर दौड़ गई है।

अब सवाल उठता है कि क्या हमारे अस्पताल, जो जीवन की रक्षा के लिए बने हैं, वास्तव में सुरक्षित हैं? क्या एक डॉक्टर का जीवन इतना सस्ता हो गया है कि वह उस जगह पर भी सुरक्षित नहीं है, जहाँ वह दिन-रात मरीजों की सेवा करती है? यह समय है आत्मावलोकन (introspection) का, जब समाज को अपनी सोच बदलने की जरूरत है, और यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे हादसे दोबारा न हों। क्यूंकि यह घटना किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की हार है।


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