ये हैं पशुओं के अधिकार और उनकी सुरक्षा के लिए कानून , इसलिए उनसे प्यार से पेश आइएगा
ये हैं पशुओं के अधिकार और उनकी सुरक्षा के लिए कानून , इसलिए उनसे प्यार से पेश आइएगा
हम मनुष्यों की तरह बेजुबानों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए भी कानून बनाए गए हैं |
सड़क पर रहने वाले श्वानों को कई तरह की पीड़ा सहनी पड़ती है | लोग उनको मारते हैं , भगाते हैं और दुर्व्यवहार करते हैं | हमारी तरह उन्हें भी सुकून से रहने का अधिकार है उन्हें ये अधिकार कानून देता है |
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम , 1960 – जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम करने के लिए यह अधिनियम लाया गया | इस अधिनियम में , धारा 11 घरेलू और जंगली जानवरों , दोनों के प्रति क्रूरता को शामिल किया गया है | इसमें परित्यक्त ( छोड़े हुए ) श्वानों और सड़क पर रहने वाले श्वानों के अधिकारों और उनके साथ की गई क्रूरता का भी उल्लेख है |उन्हें मारना , बांधना ,बंद कर देना , खाना – पानी न देना , मार देना , पालतू श्वान को सड़क पर छोड़ देना आदि पर जुर्माना और सजा दोनों हो सकते हैं |
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 ए ( जी ) – जंगलों , झीलों , नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा व् सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना , भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा | इसका मतलब है कि प्रत्येक नागरिक पर्यावरण की रक्षा करने के लिए बाध्य है ,इसलिए , श्वान को किसी भी प्रकार की क्रूरता से बचाना भी प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है |
भारतीय दंड संहिता की धारा 428 – पशुओं को मारने या अपंग करने वाले व्यकित को आईपीसी की धारा 428 के तहत दंडित किया जाएगा | इसमें कहा गया है किसी व्यक्ति द्वारा जानवर को मारने , जहर देने या विकलांग बनाने पर उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है , या जुर्माना लगाया जाएगा या दोनों भी हो सकते हैं |
आईपीसी धारा 429 में हाथी ,ऊंट ,घोडा ,खच्चर ,भैंस ,गाय या बैल को मारने ,जहर देने , अपंग बनाने जैसा जुर्म करने पर किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे पांच साल तक बढ़ा सकता हैं ,जुर्माना लगा सकते हैं या फिर दोनों से दंडित किया जाएगा |
पशु जन्म नियंत्रण नियम ,2023 – हाल ही में मत्स्यपालन , पशुपालन और डेयरी विभाग ने पशु जन्म नियंत्रण नियम ,2023 जारी किया गया है | यह नियम पशु जन्म नियंत्रण ( श्वान ) नियम , 2001 का स्थान लेगा , जिसे पशु क्रूरता निवारण अधिनियम , 1960 के तहत जारी किया गया है | इसके अनुसार , श्वानों का टीकाकरण कराया जा सकता है लेकिन नसबंदी सामान्य व्यक्ति नहीं करा सकता | नसबंदी केवल स्थानीय निकायों / नगर पालिकाओं / नगर नियमों और पंचायतों द्वारा कराई जा सकती है |
नियम के अनुसार किसी क्षेत्र में श्वानों को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा | यदि श्वान में रैबीज होने की उच्च संभावना पाई जाती है तो उसे तब तक अलग रखा जाएगा जब तक उसकी प्राकृतिक मृत्यु न हो जाए | रैबीज से संक्रमित होने के 10 दिनों के भीतर आमतौर पर मृत्यु हो जाती है |
आप भी कर सकते हैं शिकायत – आपके आसपास किसी पशु के साथ क्रूरता हो रही है तो आप उसकी शिकायत कर सकते हैं |
अगर आप घटना के समय मौजूद नहीं थे ,लेकिन आसपास मौजूद लोगों से सुनते हैं , तो उस आधार पर भी शिकायत कर सकते हैं , बशर्ते उस जानवर का स्थान पता हो |
सोशल मिडिया , टेलीविजन , फिल्म आदि में देखे गए दुर्व्यवहार की भी रिपोर्ट की जा सकती है |
यदि आपको लगता है किसी पालतू के मालिक ने किसी भी तरह से उसके साथ क्रूर व्यवहार किया है , तो मालिक के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं |
यहां करें शिकायत – पुलिस अधिकारी को या थाने में पशु क्रूरता के बारे में सूचित किया जा सकता है | उन संस्थानों से संपर्क कर शिकायत कर सकते हैं जो पशुओं की मदद करते हैं |
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