BNS Murder Section 103 In Hindi | Punishment | Fine & Bail भारतीय न्याय सहिंता की धारा 103

BNS Murder Section 103 In Hindi
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BNS Murder Section 103 In Hindi | Punishment | Fine & Bail भारतीय न्याय सहिंता की धारा 103

जैसा की आप जानते हैं कि अब भारतीय दंड सहिंता यानि आईपीसी को बदल दिया गया है यही नहीं अब नए कानून में कुल 358 धाराएं हैं जबकि पहले भारतीय दंड सहिंता में कुल 511 धाराएं थी । अब जब कानून की धाराएं घटी हैं तो जाहिर सी बात है कि जो पहले धाराएं थी जैसे कि रेप केस में 376 लगती थी उस धारा का क्या हुआ ? या जो धारा 354 थी जो महिलाओं के साथ अन्य क्राइम से सबंधित थी या धारा 506 थी ऐसे बहुत सारी धाराएं थी जो आम लोगों के भी जुबान पर होती थी । तो आपको बता दें कि अब सारी धाराएं ही बदल दी गयी हैं ।

अगर आप पहले की धाराओं पर नज़र डालना चाहें तो हमारी वेबसाइट पर इंडियन लॉ सेक्शन में आपको वो मिल जाएँगी । अब हम भारतीय न्याय सहिंता जिसे भारतीय दंड सहिंता की जगह लागु किया गया है उसकी धाराओं पर आर्टिकल लेके आएंगे। इसलिये आगे की जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें हमारी इस वेबसाइट को फॉलो भी कर लें ।

बीएनएस ( भारतीय न्याय सहिंता ) की धारा 103

आज हम सबसे पहले इस आर्टिकल में मर्डर की धारा के बारे में बात करेंगे । आपको पता ही होगा की पहले मर्डर की सजा आईपीसी की धारा 302 के तहत मिलती थी लेकिन ये क्राइम धारा 301 में उल्लेखित था । अब धारा 302 को हटा दिया गया है अब किसी मर्डर पर धारा भारतीय न्याय सहिंता की धारा 103 के तहत सजा मिलेगी । बीएनएस की धारा 103(1) के खंड एक में ये बताया गया है कि अगर कोई किसी का मर्डर करने का दोषी पाया जाता है तो उससे मौत की सजा या जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा दी गयी जाएगी ।

BNS Murder Section 103 In Hindi
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बता दें कि भारतीय न्याय सहिंता में मॉब लीचिंग को भी अपराध बनाया गया है इसमें धारा 103(2) में लिखित है कि अगर कोई यदि पांच या उससे ज्यादा लोगों का समूह, पूरी तरह से सहमत होने के बाद, नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो समूह के हर एक सदस्य को जुर्माने के अलावा, मौत या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी ।

जमानत : किसी को जान से मारना एक जंघन्य अपराध की श्रेणी में आता है ये कोई मामूली अपराध नहीं है । इसलिए ऐसा क्राइम करने वाले व्यक्ति को जमानत मिलना बहुत मुश्किल काम होता है । भारतीय न्याय सहिंता की धारा 103 को गैर जमानती रखा गया है । यानि किसी भी मर्डर केस के दोषी को जमानत देना अदालत के ऊपर होगा । जबकि अन्य गैर जमानती धाराओं में करवाई के बाद पुलिस स्टेशन से जमानत मिल जाती है । जो अपराध गंभीर श्रेणी में नहीं आते ।


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