भारतीय न्याय सहिंता में मारपीट की धारा, सजा व जमानत | BNS Marpit Ki Dhara Section 115, 351, 285 , 293 In Hindi

BNS Marpit Ki Dhara Section In Hindi
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भारतीय न्याय संहिता (BNS) में मारपीट का प्रावधान | भारतीय न्याय सहिंता में मारपीट की धारा, सजा व जमानत

भारतीय न्याय संहिता (BNS) में मारपीट से संबंधित धाराएँ व्यापक और विस्तृत हैं, जो विभिन्न प्रकार के शारीरिक हमलों और उनके परिणामों को कवर करती हैं। कानून प्रवर्तन की प्रभावशीलता और सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखने में इन धाराओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। आइए जानते हैं विस्तार से – BNS Marpit Ki Dhara Section In Hindi 

भारतीय न्याय संहिता (BNS) में मारपीट का प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता (BNS) में मारपीट (फिजिकल असॉल्ट) से संबंधित धाराओं का विवरण निम्नलिखित है:

धारा 115 BNS – स्वेच्छा से चोट पहुंचाना

  • परिभाषा: यह धारा उन कृत्यों को संबोधित करती है जहां कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाता है या इस ज्ञान के साथ कार्य करता है कि उसके कार्यों से चोट पहुंच सकती है। “चोट” का मतलब किसी व्यक्ति को शारीरिक दर्द, बीमारी, या दुर्बलता पहुंचाना है ।
  • सजा: स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा में एक वर्ष तक की कैद, दस हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों शामिल हैं ।
  • जमानत: यह एक जमानती अपराध है, इसलिए इसमें जमानत आसानी से मिल जाती है ।

धारा 351 BNS – हमला

  • परिभाषा: यह धारा हमला (असॉल्ट) के अपराध को परिभाषित करती है और इसके चार उप-धाराएँ हैं ।
  • मुख्य बातें: धारा 351 के अंतर्गत आने वाले अपराधों की विस्तृत जानकारी और उदाहरण दिए गए हैं ।
  • सजा: इस धारा के तहत सजा का प्रावधान भी है, जो अपराध की गंभीरता के आधार पर निर्धारित होती है ।
  • जमानत: धारा 351 के तहत जमानत कब और कैसे मिल सकती है, इसके प्रावधान भी दिए गए हैं । BNS Marpit Ki Dhara Section In Hindi 

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धारा 285 BNS – सार्वजनिक मार्ग या नेविगेशन लाइन में खतरा या बाधा

  • परिभाषा: यह धारा उन कृत्यों को संबोधित करती है जो किसी सार्वजनिक मार्ग या नेविगेशन लाइन में खतरा, बाधा, या चोट पहुंचाते हैं। इसमें संपत्ति से संबंधित कार्य या चूक शामिल हैं ।
  • सजा: इस धारा के तहत सजा में पांच हजार रुपये तक का जुर्माना शामिल है ।

धारा 293 BNS – निषेधाज्ञा के बाद भी उपद्रव जारी रखना

  • परिभाषा: यह धारा सार्वजनिक उपद्रव को संबोधित करती है जो किसी सार्वजनिक सेवक द्वारा निषेधाज्ञा जारी करने के बाद भी जारी रहता है ।
  • सजा: इस धारा के तहत सजा में छह महीने तक की साधारण कैद, पांच हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों शामिल हैं ।

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